लक्ष्मी मंत्र पर्यायवाची शब्दों में मनी मंत्र भी कहलाता है। लक्ष्मी मंत्र एक प्रार्थना है जो न केवल वित्तीय समृद्धि प्राप्त करने के लिए, वरन हमारे मन को ज्ञान से आलोकित भी करता है।
मूल शब्द ' लक्ष ' से लक्ष्मी शब्द की उत्पत्ति हुई है जिसका अर्थ है लक्ष्य या उद्देश्य । लक्ष्य प्राप्त करने का मतलब है उद्देश्य प्राप्त करना। लक्ष्मी मंत्र का जप अपने उद्देश्य को जानने और उसकी पूर्ति के लिए किया जाता है । ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से जाप करनेवाले की आभा में आवृत्ति होती है जिससे वह धन की प्राप्ति करते हैं। लक्ष्मी जी सभी की अवतार है जो सौभाग्य, समृद्धि और सौंदर्य लाती है ।
गुलाब और कमल के फूल
शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा तिथि, चन्द्रावली, शुभ नक्षत्र
१,२५००० बार
लक्ष्मी मंत्र के नियमित जप से व्यक्ति को धन-सम्पदा , समृद्धि , सौंदर्य और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी मंत्र का नियमित जप स्वास्थ्य , वित्त और संबंधों में बहुतायत लाता है। नौकरी में पदोंनति पाने के लिए नियमित रूप से जप कर सकते हैं; व्यवसाय में लाभ को बढ़ाने के लिए उपयोग कर सकते है और व्यापार में नए ग्राहकों को आकर्षित करने से लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।लक्ष्मी मंत्र का नियमित जप करने से मन की शांति मिलती है और अपने जीवन में नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है । शक्तिशाली लक्ष्मी मंत्र के नियमित जप से तीव्र स्पंदन ऊर्जा उत्पादित होती है जो एक ऊर्जा क्षेत्र का निर्माण करके बाहुल्य और भाग्य को आकर्षित करती है।
इस लक्ष्मी मंत्र को ७२ दिनों के भीतर १.२५ लाख बार जप किया जाता है और इस के बाद हवन करते हैं. इस जप के समय देवी लक्ष्मी की षोडशोपचार विधि से पूजन की जाती है।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
इस लक्ष्मी मंत्र का दिवाली के दिन २१ x १०८ बार (लक्ष्मी मंत्र की २१ माला) जप किया जाता है ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
अपने कार्यालय जाने से पहले इस लक्ष्मी मंत्र का प्रतिदिन जप करें ।
ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
देवी महालक्ष्मी से धन और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महालक्ष्मी मंत्र का जप करते हैं ।
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र के जप से व्यक्ति को समृद्धि और सफलता मिलती है।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
।।ॐ श्रीं श्रियें नमः ।।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ज्येष्ठ लक्ष्मी स्वयम्भुवे ह्रीं ज्येष्ठायै नमः ।।
ॐ ह्रीं क्लीन महालक्ष्म्यै नमः ।।
।। ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।। ।। ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।
।। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिध्द लक्ष्म्यै नमः ।।
।। ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौ: [ ___ ] जगात्प्रसुत्यै नमः ।।
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