राशी का अर्थ है चंद्रमा और यहाँ राशी को वह संकेत माना जाता है जिसमें चंद्रमा जन्म के समय रहता है।
राशी मंत्रों का जप कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है। व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत अपने राशी मंत्र के जप द्वारा कर सकता है और साथ ही साथ शयन के समय भी कर सकते हैं। कोई भी नया कार्य शुरू करने से पूर्व, परीक्षा या साक्षात्कार से पूर्व, रुग्ण होने पर या यात्रा करते समय भी उनका जप किया जा सकता है। ये राशी मंत्र वास्तव में 'बीज मंत्र' हैं जो किसी भी भय, रोग, बाधा, भ्रम आदि को मिटाने की सहज शक्ति रखते हैं।
कुल बारह चंद्र राशि होते हैं और प्रत्येक चंद्र राशि एक अलग स्वामी द्वारा शासित होता है। प्रत्येक राशि स्वामी एक अलग मंत्र के साथ सम्बंधित है। स्वयं के राशी मंत्र का नियमित जप करने से बहुत शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।
एक व्यक्ति जो नियमित रूप से अपने राशी के बीज मंत्र का जप करता है, वह नई ऊर्जा और प्रेरणा के साथ उत्साहित अनुभव करता है। सामान्यतः राशी मंत्रों का 11 या 108 या 1008 बार जप करना होता है।
ॐ ऎं क्लीं सौः |
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं |
ॐ श्रीं ऎं सौः |
ॐ ऎं क्लीं श्रीं |
ॐ ह्रीं श्रीं सौः |
ॐ श्रीं ऎं सौः |
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं |
ॐ ऎं क्लीं सौः |
ॐ ह्रीं क्लीं सौः |
ॐ ऎं क्लीं ह्रीं श्रीं सौः |
ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्रीं |
ॐ ह्रीं क्लीं सौः |
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः ।।
ॐ गोपालाय उत्तरध्वजाय नमः ।।
ॐ क्लीं कृष्णाय नमः ।।
ॐ हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरुपिणे नमः ।।
ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधाराय नमः ।।
ॐ नमः पीं पीताम्बराय नमः ।।
ॐ तत्वनिरञ्जनाय नमः ।।
ॐ नारायणाय सुरसिंघाय नमः ।।
ॐ श्रीं देवकृष्णाय उर्ध्वदन्ताय नमः ।।
ॐ श्रीं वत्सलाय नमः ।।
ॐ श्रीं उपेन्द्राय अच्युताय नमः ।।
ॐ आं क्लीं उध्दृताय नमः ।।
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