इस राशि के जातक अनुशासित, जिम्मेदार और व्यावहारिक प्रकृति के होते हैं। इन राशि के लोगों में तार्किक क्षमता अच्छी होती है।
इस वर्ष दशम भाव पर बृहस्पति के प्रभाव से आपको कार्यक्षेत्र में अच्छा अच्छा लाभ प्राप्त होगा। अप्रैल महीने के बाद का समय और अधिक अनुकूल हो रहा है उस समय आप किसी के साथ मिलकर कोई नया कार्य प्रारंभ कर सकते हैं जिसमें आपको अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है। राहु तथा केतु की उपस्थिति सकारात्मक रहेगी। राहु आपके आत्मविश्वास को बढ़ायेगा। इस दौरान आप कठिन परिश्रम करेंगे और अपनी नौकरी या व्यापार में अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होंगे। राशि स्वामी शनि दूसरे भाव में उपस्थित होंगे। शनि स्वयं की राशि में होंगे, इसलिए इससे आपको कोई विशेष हानि नहीं होगा।
पारिवारिक और सामाजिक दृष्टिकोण से यह वर्ष शुभ रहेगा। वर्ष के आरंभ में चतुर्थ भाव में गुरु पर शनि की दृष्टि के प्रभाव से आपके परिवार का वातावरण अनुकूल रहेगा। तृतीय भाव में राहु के प्रभाव से आपके पराक्रम तथा कार्य क्षमताओं का विकास होगा। संतान की दृष्टि से इस वर्ष का प्रारंभ सामान्य रहेगा परंतु अप्रैल से बृहस्पति ग्रह का गोचर पंचम भाव में हो रहा है उसके बाद समय अनुकूल हो जाएगा। संतान प्राप्त के इच्छुक व्यक्तियों को संतान प्राप्त की संभावना इस वर्ष बन सकती है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष सामान्य रहेगा। द्वितीय भाव में शनि आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते है। अप्रैल के बाद स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से समय अनुकूल हो रहा है राशि स्थान पर गुरु ग्रह के दृष्टि प्रभाव से आप मानसिक रूप से संतुष्ट रहेंगे। इस पूरे वर्ष अपने खाने -पाने को नियंत्रण रखें और योग अभ्यास करते रहें।
इस वर्ष के आरंभ में चतुर्थ भाव का गुरु आपको संचित धन की प्राप्ति करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। अष्टम भाव में गुरु की दृष्टि आपको पैतृक संपत्ति भी प्राप्त करवा सकती है। इस साल की शुरुआत में बुध और शुक्र आपके एकादश भाव में स्थित होंगे इससे आपकी आय में वृद्धि होगी। मार्च के बाद एकादश भाव में गुरु ग्रह की दृष्टि के प्रभाव से धन अर्जित करने की आपकी क्षमता बढ़ेगी।
प्रतियोगिता परीक्षार्थियों के लिए वर्ष का प्रारंभ सामान्य रहेगा। संघर्षात्मक परिस्थितियों में आपको सफलता मिलेगी। विद्यार्थियों के लिए इस वर्ष अप्रैल के बाद का समय बहुत शुभ रहेगा।
शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव पूरे वर्ष रहेगा इसलिए शनि के मंत्रों का जाप करें और शनिवार के दिन शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाते रहें।