सितम्बर मीन राशि वालों के करियर में संतुलित परिणाम देगा। शुरुआत में सहकर्मियों से मतभेद या विरोधियों की सक्रियता तनाव दे सकती है; छठे भाव में सूर्य, बुध और केतु कामकाज में रुकावट और अनावश्यक दबाव ला सकते हैं। धैर्य और संयम से स्थिति सँभल जाएगी। 15 तारीख के बाद बुध सप्तम में आते ही पदोन्नति/नई जिम्मेदारी के अवसर बनेंगे, वरिष्ठों का सहयोग और सराहना मिलेगी। व्यापार में पूर्वार्ध उतार-चढ़ाव वाला है—साझेदारी में मतभेद और खर्च बढ़ सकते हैं; मंगल सप्तम में उग्रता ला सकते हैं, इसलिए फैसले सोच-समझकर लें। 13 तारीख के बाद मंगल अष्टम में और 17 से सूर्य सप्तम में—नई योजनाएँ शुरू करने, विस्तार और विशेषकर तकनीकी/सेवा क्षेत्र में प्रगति के मौके मिलेंगे। कुल मिलाकर, शुरुआत मिश्रित, लेकिन उत्तरार्ध उन्नति दिलाने वाला रहेगा।
आमदनी बनी रहेगी, पर खर्चों का दबाव भी रहेगा। महीने की शुरुआत में छठे भाव में सूर्य-बुध-केतु घर-परिवार, स्वास्थ्य और दैनिक आवश्यकताओं पर व्यय बढ़ा सकते हैं। राहु पूरे महीने द्वादश में रहकर गुप्त और अनियोजित खर्च बढ़ा सकते हैं, जिससे बचत चुनौतीपूर्ण बनेगी। शुक्र पंचम से एकादश पर दृष्टि डालकर आय के नए स्रोत खोलेंगे और कमाई को सहारा देंगे। 13 तारीख को मंगल अष्टम में जाकर पैतृक संपत्ति, बीमा या अप्रत्याशित माध्यमों से धन लाभ के योग बना सकते हैं; शेयर/निवेश भी लाभ दे सकते हैं, पर सावधानी रखें। 15 के बाद शुक्र छठे में—सुख-सुविधा और मौज-मस्ती पर खर्च बढ़ सकता है। विवेकपूर्ण ख़र्च और सही समय पर निवेश से स्थिति स्थिर रहेगी।
राहु द्वादश में और शनि आपकी राशि में—मानसिक/शारीरिक थकान बढ़ा सकते हैं। छठे भाव में सूर्य-बुध-केतु पेट, एलर्जी या पुरानी समस्याएँ उभार सकते हैं; शुरुआत में नींद की कमी, आँखों की दिक्कत और पाचन संबंधी तकलीफ संभव है। मंगल सप्तम और बाद में अष्टम—दुर्घटना/चोट का जोखिम बढ़ाते हैं, इसलिए वाहन चलाते समय सावधानी रखें। 13 के बाद मंगल अष्टम में आने पर अचानक स्वास्थ्य गिरने की आशंका; 15 के बाद शुक्र छठे में आलस्य/लापरवाही से दिक्कतें बढ़ सकती हैं। उत्तरार्ध में सूर्य-बुध सप्तम में और शनि की दृष्टि—पेट व हड्डियों से जुड़ी समस्या उभर सकती है। पूरे महीने हल्का-सुपाच्य भोजन, समय पर सोना-जागना, योग-प्राणायाम अपनाएँ; छोटी समस्या पर भी समय रहते चिकित्सकीय सलाह लें।
प्रेम जीवन के लिए समय अनुकूल है—पंचम में शुक्र शुरुआत में मिठास और रूमानियत बढ़ाएंगे; प्रेम विवाह के योग बन सकते हैं। 15 के बाद शुक्र छठे में जाने पर हल्की गलतफहमियाँ संभव हैं, जिन्हें स्पष्ट संवाद से संभाला जा सकता है। विवाहितों के लिए आरंभिक समय चुनौतीपूर्ण—सप्तम में मंगल और प्रथम में शनि की दृष्टि तनाव बढ़ा सकती है; 17 के बाद सूर्य-बुध सप्तम में आकर तालमेल और समझ बढ़ाएंगे। पारिवारिक स्तर पर चतुर्थ में बृहस्पति सामंजस्य और सुख बनाए रखेंगे; भाई-बहनों का सहयोग और बुजुर्गों का मार्गदर्शन लाभकारी रहेगा। शनि-मंगल के प्रभाव से छोटे विवाद हो सकते हैं—उन्हें शांतिपूर्ण बातचीत से सुलझाएँ। महीने का उत्तरार्ध घर-परिवार के लिए अधिक अनुकूल और शांतिपूर्ण रहेगा।