महाशिवरात्रि में रुद्राभिषेक: क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व क्यों हैं ?

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही धूमधाम मनाया जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च 2024 को मनाया जा रहा है। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग तथा शिव योग के साथ ही ग्रहों के भी बहुत शुभ योग बने हैं।
महाशिवरात्रि से ठीक एक दिन पहले 7 मार्च को शुक्र के मित्र ग्रह शनि की राशि में आकर शनि के साथ युति बनाएंगे। इसके साथ ही कुंभ राशि में सूर्य, शनि तथा शुक्र का मजबूत त्रिग्रही योग भी बनेगा। महाशिवरात्रि के शुभ संयोग में शुक्र तथा शनि की युति होने से वृषभ, सिंह, तुला, मकर तथा कुंभ राशि वाले जातकों को विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है। महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का त्यौहार है।
महाशिवरात्रि के दिन मनोकामना पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं तथा इस दिन रुद्राभिषेक करने के कई लाभ भी हैं। वैसे आप चाहे तो शुभ मुहूर्त देखकर कभी भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं किन्तु महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है।
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आइये जानते हैं क्या है रुद्राभिषेक तथा शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक कैसे करें तथा उससे क्या-क्या लाभ प्राप्त हो सकते हैं
जानें क्या है रुद्राभिषेक
रुद्राभिषेक रुद्र तथा अभिषेक शब्द से मिलकर बना हुआ है, अभिषेक अर्थात स्नान कराना, रुद्राभिषेक का पूरा अर्थ होता है भगवान रुद्र का अभिषेक। रुद्राभिषेक दूध, जल, घी, दही, शहद आदि जैसे कई तरह के द्रव्य पदार्थों से किया जाता है इसके लाभदायक परिणाम भी तुरंत प्राप्त होते हैं। रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
रुद्राभिषेक की जो भी विधियां, मंत्र तथा पूजा करने का तरीका है वो सभी संप्रदाय तथा विभिन्न स्थान के लोगों में उनकी परंपरा के अनुसार थोड़ी भिन्न हो सकती है किन्तु भगवान शिव के लिए की गयी उनकी भक्ति सदैव समान ही रहती है।
रुद्राभिषेक का महत्व
'रुतम्-दु:खम, द्रावयति- नाशयतीतिरुद्र:' अर्थात रुद्राभिषेक से भगवान शिव मनुष्य के सभी दु:खों को नाश कर देते हैं। लोगों द्वारा किए पाप, गलत कार्य ही उसके दुखों का कारण बनते हैं, इसलिए रुद्राभिषेक करने से कुंडली में पातक कर्म और महापातक कर्म भी दूर होते हैं तथा वो व्यक्ति में शिवत्व में लीन हो जाता है।
रुद्रहृदयोपनिषद में भी ऐसा कहा गया है, 'सर्वदेवात्मको रुद: सर्वे देवा: शिवात्मका', अर्थात शिव का ये रुद्र अवतार सभी देवताओं की आत्मा में उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा में उपस्थित है। यही कारण है कि रुद्राभिषेक करने से शीघ्र ही इसके परिणाम प्राप्त होते हैं तथा व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां भी या ग्रहों से संबंधित दोष सब कुछ दूर हो जाते हैं।
रुद्राभिषेक करने की सम्पूर्ण विधि
रुद्राभिषेक के लिए आप अपना मुख पूर्व दिशा की ओर रखते हुए शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करें। किसी एक साफ बर्तन यदि संभव हो तो तांबे के बर्तन में गंगाजल लेकर उस गंगाजल के साथ अभिषेक आरंभ करें। फिर उसी बर्तन से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध, जल, पंचामृत आदि जितने तरल पदार्थ हैं, इससे शिवलिंग का अभिषेक करें।
रुद्राभिषेक के दौरान महामृत्युंजय 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥' मंत्र का जाप करते रहें। इसके साथ ही आप शिव तांडव स्तोत्र, 'ॐ नम: शिवाय' या 'रुद्र मंत्र' का जाप भी कर सकते हैं।
शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं ,पान का पत्ता, बेलपत्र, सुपारी आदि सभी चीजें अर्पित करें और उन्हें कुछ मीठे का भोग चढ़ाएं। शिवलिंग के पास धूप-दीप जलाकर 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें। जितने लोग इस रुद्राभिषेक में सम्मिलित हुए है उन सब के साथ मिलकर शिव की आरती करें। रुद्राभिषेक के जल को किसी पात्र में एकत्रित करते रहें और बाद में इसी जल से पूरे घर पर छिड़काव करें। इससे घर का वातावरण शुद्ध होता है तथा घर से नकारात्मकता भी दूर होती है।
बचे हुए जल को सभी लोग प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें। इस पवित्र जल के शरीर में जाते ही इससे रोग-दोष दूर हो जाते हैं।
अगर आपने शिवरात्रि का व्रत रखा है तो भगवान शिव के प्रसाद के साथ आप अपना व्रत तोड़ सकते हैं।
भगवान शिव को धतूरे का फूल तथा भस्म बहुत पसंद है जो प्रायः किसी भी देवी देवता को नहीं चढ़ता है किंतु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आप उन्हें ये सब भी चढ़ा सकते हैं।
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक क्यों करनी चाहिए
वैसे तो रुद्राभिषेक आप प्रदोष व्रत, सोमवार विशेष रूप से श्रावण के सोमवार, श्रावण मास जैसे शुभ अवसरों पर या ज्योतिष अनुसार जिस समय करना आपके लिए उचित हो आप कर सकते हैं किन्तु महाशिवरात्रि के दिन अगर आप रुद्राभिषेक करते हैं तो इसके लाभ अनेक है।
महाशिवरात्रि को शिव तथा माता पर्वती के मिलन की रात मानी जाती है। इस दिन शिव स्वयं प्रसन्न रहते हैं ऐसी स्थिति में शिव का रुद्राभिषेक कर के आप उनसे सरलता से उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन रुद्राभिषेक करने से आपके साथ-साथ आपके परिवार को भी शारीरिक तथा आध्यात्मिक कल्याण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा पापों तथा नकारात्मक कर्म प्रभावों को दूर करने और शांति, समृद्धि तथा इच्छाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक अवश्य करना चाहिए।
रुद्राभिषेक के विभिन्न प्रकार तथा शिवरात्रि पर होने वाले लाभ
- जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी।
- जब आप घी से अभिषेक करते हैं तो इससे वंश का विस्तार का आशीर्वाद होता है।
- भांग तथा धतूरा से रुद्राभिषेक करने से आपके स्वास्थ्य पर उसका अच्छा प्रभाव पड़ता है।
- गंगाजल से रुद्राभिषेक करने पर आपकी की कुंडली में मौजूद ग्रह दोष का प्रभाव कम हो जाता है। अगर प्रभाव पहले से कम हो तो रुद्राभिषेक करने से समाप्त हो जाता है।
- गन्ने के रस या गुड़ से रुद्राभिषेक करने पर धन संपत्ति में वृद्धि होती है।
- इत्र से शिवलिंग का अभिषेक करने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं।
- दूध से रुद्राभिषेक करने पर घर का वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता है। घर में सुख-शांति आती है का निवास होता है।
- शहद से रुद्राभिषेक से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है तथा कार्यक्षेत्र में तरक्की होती है।
- दही से रुद्राभिषेक करने पर आपका आपके आसपास के लोगों से वाद-विवाद कम होते हैं।
- भस्म से रुद्राभिषेक करने पर आपके समस्त शत्रुओं का नाश होता है।
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