Malmas 2023 : जानें अधिक मास में किन नियमों का विशेष ध्यान रखने से होगी भगवान की विशेष कृपा

'अधिक मास' हिंदू पंचांग में एक वर्ष की अवधि है, इस मास को अधिक दिनों का मास माना जाता है, जो प्रमुख हिंदू मास जैसे चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ के अंतर में आता है।अधिक मास का महत्व प्रमुख रूप से वैष्णव संप्रदाय में है, जहां इसे 'पुरुषोत्तम मास' के नाम से भी जाना जाता है। इसे भगवान विष्णु का अनुग्रह माना जाता है। अधिक मास तीन साल में एक बार आता है। अधिक मास को मलमास भी कहा जाता है।
चंद्र मास में 29.5 दिन होते हैं जबकि सौर मास में 30 से 31 दिन होते हैं। इस प्रकार, पूरा चंद्र वर्ष कुल 354 दिनों का होता है जबकि सौर वर्ष में 365 दिन होते हैं। चंद्र और सौर वर्ष के बीच का अंतर लगभग 11 दिनों का होता है। 2-3 वर्षों की अवधि में, यह अंतर कुल 29-30 दिनों का होता है। अंत में, बचे हुए दिनों की भरपाई करने और चंद्र तथा सौर वर्षों को संरेखित करने के लिए एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है।
अधिक मास को विशेष तिथियों, व्रतों और धार्मिक कार्यो के लिए महत्व दिया जाता है।
2023 हिंदू श्रद्धालुओं के लिए खास साल है। पुरूषोत्तम मास या अधिक मास श्रावण महीने में आता है। इस वर्ष अधिक मास लगभग 19 वर्ष के अंतराल के बाद हो रही है। इस वर्ष अधिक मास 18 जुलाई, मंगलवार को शुरू हो कर 16 अगस्त, बुधवार को समाप्त हो रहा है। अधिक मास श्रावण महीने में पड़ रहा है।
श्रावण मास विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा का प्रतीक है जबकि अधिक मास भगवान विष्णु को समर्पित है। इन दोनों अलौकिक देवताओं की संयुक्त ऊर्जा हिंदू भक्तों को अपने पिछले जन्मों के पापों को धोने का एक दुर्लभ तथा विशेष मौका देती है।
अधिक मास के संबंध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। जिसमें से सबसे लोकप्रिय कथा है कि एक बार अधिक मास को मानव रूप में प्रस्तुत किया गया था, तब उसने भगवान विष्णु की मदद मांगी। मदद मांगने का कारण ये था कि 12 महीनों में प्रत्येक महीना एक-एक देवता को समर्पित था अर्थात 12 महीने के लिए 12 देवता लेकिन अधिक मास, चूँकि बाद में जोड़ा गया, वो देवता विहीन था। यही कारण था कि वो एक बार भगवान विष्णु के पास मदद मांगने गया।
भगवान विष्णु ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह खुद को अधिक महीने के लिए समर्पित करेंगे और सभी लोग पूरे महीने के लिए प्रमुख देवता के रूप में उनकी ही पूजा करेंगे। अधिक का शाब्दिक अर्थ ही है बहुत, अधिक, अनेक, भरपूर और यहाँ इन विशेषणों का विशेष महत्व है।
अधिक मास की अवधि के दौरान आप जो कुछ भी करते हैं, चाहे वह गुणात्मक रूप से पाप हो या पुण्य, उसकी तीव्रता में वृद्धि होती है तथा वो हजार गुना होकर आपके पास लौटकर आता है। यही कारण है कि अधिक मास का विशेष महत्व है और इस अवधि में सतर्कता के साथ पुण्य कर्म करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यदि आप पुण्य कर्म करेंगे तो उसमें हजार गुना वृद्धि होगी और उसका फल भी अधिक प्राप्त होगा।
अधिक मास के दौरान होने वाले कुछ महत्वपूर्ण व्रत की जानकारी नीचे दी गयी है
- रसौपवास- इस व्रत में आप केवल फलों और सब्जियों के रस के साथ कर सकते हैं।। फल तथा सब्जियों के रस के साथ का ये उपवास रसौपवास कहलाता है।
- फालूपवास- फल खाकर किया जाने वाला उपवास फालूपवास है। यदि आपको फल सूट नहीं करता तो आप उबली हुई सब्जियां खाकर भी अपना व्रत पूरा कर सकते हैं।
- एकहरूपवास- एक प्रकार का भोजन करके उपवास करना एकहरूपवास है। उदाहरण के लिए, यदि आप एकारूपवास रखते हैं, तो आप सुबह रोटी और शाम को सब्जी का सेवन कर सकते हैं।
इस तरह के कई व्रत और भी होते हैं। आप अपनी सहनशीलता के अनुसार उपवास के प्रकार चुन सकते हैं। आप जो भी व्रत चुनें, व्रत के दौरान आपको केवल एक बात का ध्यान रखना है विशेषकर एकारूपवास के दौरान, अपने भोजन में प्याज और लहसुन न डाले, प्याज, लहसुन के सेवन से बचें। इसका कारण ये है कि ये दोनों वस्तुएं अत्यधिक तामसिक प्रकृति की हैं और आलस्य पैदा करती हैं।
आइये जानते है कि अधिक मास के दौरान कौन-कौन से कार्य करने चाहिए
- अधिक मास के दौरान प्रतिदिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त 4 बजे सुबह से 6 बजे के बीच उठने की कोशिश करें।
- स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। यदि संभव हो तो विष्णु मंदिर या लक्ष्मी नारायण मंदिर जाकर उनकी पूजा करें।
- भगवान विष्णु के नाम का व्रत रखें। अधिक मास के दौरान, विभिन्न प्रकार के व्रत होते हैं जिन्हें आप अपनी व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर रख सकते हैं।
- आप अपनी क्षमता अनुसार जहां भी संभव हो अपनी क्षमता अनुसार दान करें।
- इस अवधि के दौरान मंत्रों का जाप करना भी आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा। इसके लिए आपको जटिल मंत्रों का जाप करने की आवश्यकता नहीं है। आप ऐसे मंत्रों का चुनाव कर सकते हैं जिसका पाठ करना सरल हो तथा मंत्र को याद रखना भी आसान हों। मंत्रों का पाठ लेट कर या कुर्सी पर बैठ कर न करें उसकी जगह ध्यान की मुद्रा में बैठकर मंत्रों का जाप करना बेहतर होता है। यदि आपको ध्यान मुद्रा में बैठना कठिन लगता है, तो आप सामान्य क्रॉस लेग स्थिति में भी बैठ सकते हैं। यदि आपको फर्श पर बैठने में परेशानी होती है, तो आप कुर्सी का उपयोग कर सकते हैं। सीधे खाली फर्श पर न बैठें, मंत्र जाप शुरू करने से पूर्व एक साफ कंबल या दरी का उपयोग करें।
- इस अवधि के दौरान धार्मिक कार्य करना शुभ होगा। धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने से न केवल आपके कर्म शुद्ध होंगे बल्कि आप पितृ दोष के असर को कम करने में भी सफल होंगे।
- अधिक मास के दौरान जाप, दान तथा तथा पूजा का विशेष महत्व होता है। इस महीने में किए गए कार्य आपको अन्य महीनों की तुलना में अधिक बेहतर और उच्च परिणाम देते हैं।
- इस माह में व्रत, उपवास तथा दान के अलावा हवन करना भी अत्यंत फलदायी होता हैबचें।। हवन पवित्र अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है और मुख्य रूप से शुद्धि के लिए किया जाता है। अधिक मास के दौरान हवन करने से आपके भय, असुरक्षाएं दूर होंगे तथा आपकी आत्मा की शुद्धि होगी।
- यदि संभव हो तो अधिक मास के दौरान तीर्थयात्रा करें। आप अपने आसपास के मंदिरों में भी जा सकते हैं विशेष रूप से यदि विष्णु मंदिर हो तो और वहां हवन, जाप, पूजा तथा ध्यान कर सकते हैं।
- धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें। इस अवधि के दौरान अपने व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा समय निकालकर रामायण, महाभारत, भगवद गीता या रामचरितमानस के कुछ पैराग्राफ पढ़ने की कोशिश करें। अधिक मास के दौरान इन ग्रंथों को पढ़ने से मानसिक शुद्धि होगी, आपकी चिंता कम होगी तथा नकारात्मक या अशुभ ऊर्जा दूर होंगी।
- इस अवधि के दौरान आप अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें। अधिक मास के दौरान हम जो उपवास और अन्य अनुष्ठान करते हैं, उनका मुख्य उद्देश्य इंद्रियों को वश में करना होता है।
- इस पूरे महीने के दौरान जितना हो सके गाय को भोजन खिलाएं।
- ब्राह्मणों, साधु-संतों का सम्मान करें, उनकी सेवा करें। उन्हें जरुरत की चीजें दान करें तथा उन्हें नियमित रूप से भोजन करवाएं। इस अवधि के दौरान यदि संभव हो तो किसी से भी उधार न लें।
- यदि आपकी शारीरिक क्षमता आपका साथ दे तो, दिन में एक बार भोजन करने का प्रयास करें। जितना हो सके आप सात्विक भोजन करें।
- इस अवधि में पूरे महीने तुलसी के पौधों को जल चढ़ाएं। सुबह तथा शाम दोनों समय तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं।
अधिक मास की अवधि के दौरान आपको कौन-से कार्य नहीं करने चाहिए, आइये जानते हैं
- इस अवधि के दौरान आप दूसरों को नुकसान न पहुँचायें। आप अपने मन में किसी को नुकसान पहुँचाने के विषय में सोचें भी न। इसका उल्टा असर आप पर पड़ सकता है।
- इस अवधि के दौरान किसी के साथ गाली-गलौज तथा बहस करने से बचें।
- यदि आप कोई भी नया या शुभ कार्य शुरू करने के विषय में सोच रहें है तो इस अवधि में इन कार्यो को करने से बचें।
- इस महीने में मुंडन, सगाई, विवाह या नामकरण संस्कार ये सब करने की योजना न बनायें।
- किसी भी क्षेत्र में कोई भी निवेश न करें या अपने वित्त से संबंधित कोई भी बड़ा निर्णय न लें।
- इस महीने में आप नया घर या वाहन न खरीदें।
- अधिक मास की पूरी अवधि में मांसाहारी भोजन, कैफीन, निकोटीन तथा धूम्रपान नशीले पदार्थो के सेवन करने से बचें।
- जब तक अत्यावश्यक न हो तब तक बाल और नाखून काटने से बचें।
- यौन सुख से दूर रहें। आत्मसंयम बनाये रखने की कोशिश करें।
निष्कर्ष #
इस पूरे महीने में भगवान शिव तथा भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आपके कार्य तथा आपके इरादे अत्यंत पवित्र हो तो भगवान भी आपसे प्रसन्न होंगे। यदि आप अधिक मास के सभी नियमों का पालन करते हैं तथा लोगों की भलाई के विषय में सोचते हैं तो इसका शुभ परिणाम कई हजार गुणा बढ़कर आपको प्राप्त होगा।
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