भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग की विस्तृत जानकारी
![jyotirlinga](https://astro-vedicrishi-in.b-cdn.net/web-vedicrishi/images/blog/jyotirlinga.png)
देवों के देव ‘’महादेव’’ जो स्वयं महाकाल हैं, जिनका काल भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता है, जिनके दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव त्रिकालदर्शी हैं, वो भूत, भविष्य और वर्तमान के ज्ञाता हैं। हमारा भारत देश एक ऐसा देश है जहाँ अध्यात्म में आस्था रखने वाले लोग निवास करते हैं।
भारत मंदिरों का देश है और यहाँ कई ऐसे धाम है जहाँ लोग सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करने जाते हैं। उन्हीं धामों में आते हैं, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग; ऐसा माना गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में एक बार शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर ले, तो वह सभी दोषों से मुक्त हो जाता है तथा मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सौभाग्यशाली होते हैं वैसे लोग जो अपने जीवनकाल में इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाते हैं। पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रकट हुए थे, उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन प्रातःकाल और संध्याकाल के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेते हैं, उनके पिछले सात जन्मों के पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से धुल जाते हैं।
आइये आज इस लेख के माध्यम से उन 12 ज्योतिर्लिंगों के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात राज्य के सौराष्ट्र नामक क्षेत्र में स्थित है। ये ज्योतिर्लिंग धरती का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहाँ ऐसी मान्यता है कि देवताओं ने पवित्र कुंड बनाया था जिसे सोमनाथ कुंड माना जाता है।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का उल्लेख ऋग्वेद, शिव पुराण, स्कंद पुराण और श्रीमद भगवत गीता में भी मिलता है। इसी से ये भी अनुमान लगाया जा सकता है कि ये ज्योतिर्लिंग कितना पुराना हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले इस मंदिर को भगवान चंद्रदेव ने बनवाया था। भगवान चंद्रदेव को सोमदेव के नाम से भी जाना जाता है।
शिव पुराण में ऐसा निर्देशित है कि दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को क्षय रोग का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर आकर शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था ताकि उनको इस श्राप से मुक्ति मिल सके। तब से ऐसा माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के सुनहरे भाग का निर्माण चंद्रदेव ने किया और चाँदी के भाग का निर्माण सूर्यदेव ने किया। इस मंदिर पर मोहम्मद ग़ज़नवी ने लगभग 16 बार आक्रमण किया और 16 बार इसे खंडित किया; लेकिन फिर इसे बार-बार वापस खड़ा भी किया गया।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश के कृष्णा नदी के श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है। कई राजाओं ने मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की देखरेख में महत्वपूर्ण योगदान दिया था लेकिन इतिहास में जो पहला नाम मिलता है, वह है सतवाहन साम्राज्य का।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की देख-रेख में छत्रपति शिवाजी ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की खास बात ये है कि इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है तथा यहाँ प्रतिदिन 5000 से ज्यादा भक्त पूजा के लिए आते हैं।
यहाँ की भस्म आरती काफी प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अकाल मृत्यु से मुक्ति पाने के लिए यहाँ भक्त शिव की पूजा करने पूरी दुनिया से आते हैं।
4. ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग भी मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में शिवपुरी द्वीप पर स्थित है। इसे मंधाता पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के पास से नर्मदा नदी बहती है।
ॐकारेश्वर का नाम ॐकारेश्वर इसलिए पड़ा क्योंकि इस ज्योतिर्लिंग के चारों ओर जो पहाड़ और नदी बहती है, वो ॐ का आकार बनाती है।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में सबसे अधिक लोकप्रिय है, यहाँ पूरी दुनिया से लोग दर्शन के लिए आते हैं।
ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ धाम की खोज पांडवों ने की थी, पांडव अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए केदारनाथ धाम पहुँचे थे। इसके बाद इसका पुनर्निर्माण आदिशंकराचार्य जी ने करवाया था।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सिम्हाद्री नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में ऐसा माना जाता है कि ये रामायण काल से जुड़ी हुई है।
यह ज्योतिर्लिंग मोटेश्वर महादेव नाम से भी प्रचलित है।
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है। वाराणसी पूरे भारत का धार्मिक केंद्र माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था तो उस समय सूर्य की पहली किरण काशी पर ही पड़ी थी। गंगा तट पर स्थित काशी विश्वनाथ शिवलिंग दर्शन के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग ब्रह्मगिरि नामक पर्वत पर स्थित है, जहाँ से गोदावरी नदी का उद्गम भी है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को इस नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि यहाँ पर तीन छोटे-छोटे लिंग ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव के प्रतीक के रूप में स्थापित है।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। बाबा वैद्यनाथ जिस स्थान पर स्थापित है, उस स्थान को वैद्यनाथ धाम के नाम से दुनिया भर में जाना जाता है।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को रावण की भक्ति के प्रतीक के रूप में भी माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने तथा उन सबको रोग मुक्त करने के लिए भी प्रसिद्ध है।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र के गोमती द्वारका के निकट स्थित है। ये ज्योतिर्लिंग द्वारकापुरी से लगभग 17 किमी दूर है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की 80 फीट ऊँची एक मूर्ति भी स्थापित है।
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थापित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका विजय से पूर्व यहाँ पर शिवलिंग स्थापित की थी और वहां उनकी पूजा की थी। यही कारण है कि इसे रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
ये ज्योतिर्लिंग चार धामों में से एक धाम भी है।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में औरंगाबाद के नजदीक दौलताबाद में स्थित है। लोग इसे घुश्मेश्वर के नाम से भी पुकारते हैं।
यह ज्योतिर्लिंग घुश्मा के मृत पुत्र को जीवित करने के लिए भगवान शिव के समर्पण में बनाया गया। तभी से यह घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
ऐसी मान्यता है कि भारत में अलग-अलग स्थानों पर स्थापित ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सभी की मनोकामना पूरी होती है, सभी दुःख दूर होते हैं, धन-वैभव की प्राप्ति होती है। आप संस्कृत के निम्न श्लोक पढ़कर भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के नामों का स्मरण करके पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारंममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
निष्कर्ष #
यदि संभव हो तो हम सभी को जीवन में एक बार इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने की कोशिश करनी चाहिए।
इससे न केवल दुःख दूर होंगे बल्कि आपके मन को शांति भी प्राप्त होगी।
Share article:
और देखें
वैदिक ज्योतिष
राहु-केतु गोचर 2023: नए संभावनाओं का आरंभ
नागपंचमी
Nag Panchami 2023: शुभ मुहूर्त व पूजन विधि के साथ जानें कालसर्प दोष शांति हेतु इसकी महत्ता
वैदिक ज्योतिष
पंचांग योग: 2024 के सभी योगों के विषय में सटीक तिथि, समय और लाभ को जानें।
वैदिक ज्योतिष
Guru Gochar 2024: वृषभ राशि में बृहस्पति के गोचर का आपके जीवन पर प्रभाव
दीपावली
दीपावली 2024: इस वर्ष कब है दीपावली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर ?
24 घंटे के अंदर पाएं अपना विस्तृत जन्म-कुंडली फल उपाय सहित
आनेवाला वर्ष आपके लिए कैसा होगा जानें वर्षफल रिपोर्ट से
वैदिक ऋषि के प्रधान अनुभवी ज्योतिषी से जानें अपने प्रश्नों के उत्तर
विशेष लेख
वैदिक ज्योतिष
वैदिक ज्योतिष
वैदिक ज्योतिष