शनि जयंती 2024: जानें शनि देव का महत्व और कैसे प्राप्त करें उनका आशीर्वाद

हिन्दू मान्यता के अनुसार मनुष्य को उसके कर्मानुसार फल प्रदान करने वाले देवता शनिदेव हैं। शनिदेव अनुशासन प्रिय तथा सतकर्मों के फल प्रदाता हैं। अनुशासन प्रिय होने के कारण शनिदेव को कठोर ग्रह के रूप में माना जाता है, परन्तु इनकी कठोरता के प्रभाव से ही मनुष्य सत कर्म तथा अच्छी प्रवृत्ति की ओर मार्गदर्शित होता है। इनके प्रभाव से ही मानव जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है जो आगे चलकर सुख-समृद्धि तथा सफलता प्रदान करता है।
कर्म-फल और न्याय के देवता भगवान शनि के जन्मदिवस को शनि जयंती या शनि अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। शनि जयंती ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने और उनके नकारात्मक प्रभावों को अपने जीवन से दूर करने के लिए शनि जयंती पर विशिष्ट अनुष्ठान अथवा पूजन करने का, हिन्दू शास्त्रों और ज्योतिषीय मतानुसार यह एक महत्वपूर्ण अवसर है।
पूरी श्रद्धा और निष्ठा से इस दिन भगवान शनिदेव की पूजा करने से आपके जीवन की समस्त बाधाएं दूर होंगी तथा इनका आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहेगा। शनि जयंती को शनिश्चरा जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान शनिदेव की जन्म कथा
स्कंद पुराण के अनुसार शनिदेव के पिता भगवान सूर्य देव और माता छाया देवी हैं। सूर्य देव की पत्नी संध्या थी जो उनके तेज को सहन नहीं कर पाती थी अतः उन्होंने तपस्या के द्वारा अपने प्रतिरूप का निर्माण किया जिसका नाम उन्होंने सुवर्णा (छाया) रखा। इन्ही देवी छाया और सूर्य देव के पुत्र भगवान शनिदेव हुए।
भगवान शनिदेव के जन्म के संबंध में एक और संस्करण है कि देवी छाया (सुवर्णा) भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी और उनकी तपस्या के परिणामस्वरूप भगवान शनिदेव का जन्म हुआ जिन्हे भगवान शिव की अपार शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
भगवान शनिदेव की दो पत्नियां मन्दा और नीलिमा थी, तथा उनके दो पुत्र माधीं और कुलिंगन हुए। शनिदेव का वाहन कौआ है तथा कौवे को न्याय के दूत के रूप में भी पूजा जाता है।
शनि जयंती शुभ तिथि और मुहूर्त
इस वर्ष कृष्ण पक्ष की शनि अमावस्या तिथि 05 जून 2024 को शाम 07:54 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 06 जून 2024 को शाम 06:07 बजे तक रहेगी अतः शनि जयंती 06 जून 2024 को मनाई जाएगी।
इस तिथि में इस बार वट सावित्री का पर्व भी मनाया जा रहा है, इसके साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, इसके परिणामस्वरूप इस बार शनि जयंती बहुत प्रभावशाली एवं कल्याणकारी होगा।
शनि जयंती पर पूजा विधि एवं उपाय
इस दिन पूरे मन और श्रद्धा भाव से शनिदेव की पूजा करने से शुभ और सौभाग्य दायक होगा। सुबह उठकर नित्य क्रियाओं से निर्वित्त तथा स्नान आदि करने के उपरांत साफ वस्त्र धारण करके भगवान शनिदेव की प्रतिमा पर राइ (सरसो) का तेल, फल तथा फूल उनके चरणों में अर्पित करके विधिपूर्वक पूजा करें।
इस दिन शनि बीज मंत्र, शनि चालीसा और शनि स्त्रोत का पाठ करना तथा पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना बहुत लाभकारी होगा। शनि जयंती पर शनि मंदिर में दर्शन और पूजा करना अति शुभ फलदायक होगा।
मंदिर में शनिदेव को काला तील मिला हुआ सरसो का तेल चढाएं इसके साथ ही इस दिन शाम को शनिदेव के समक्ष और पीपल के पेड़ के नीचे सरसो या तिल के तेल का दिया जलाएं, ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होंगे और उनके आशीर्वाद से आपके सारे कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होंगे।
शनि जयंती को और भी शुभ बनाएं, 5 मुखी रुद्राक्ष से और भगवान शनि के आशीर्वाद प्राप्त करें।
शनिदेव के मंत्र
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
शनि जयंती के दिन शाम के समय पश्चिम दिशा की ओर मुख करके राइ (सरसो) के तेल का दीपक जलाएं तथा 'ॐ शं अभयहस्ताय नमः' का 11 माला का जाप करें।
'ॐ शं शनैश्चराय नमः'
'ॐ नीलजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम'
इन मंत्रो के जाप से शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा उनका आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहेगा।
लाभ प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण उपाय
- दान और दयालुता के कार्य से शनिदेव प्रसन्न होते हैं अतः इस दिन आपको गरीबों को काला तिल, काला वस्त्र, जूते-चप्पल तथा कंबल का दान करना चाहिए।
- इस दिन काले रंग के कपड़े पहनना चाहिए, काला रंग शनिदेव को पसंद है। काला तिल या सरसो का दान करने से शनि की साढ़ेसती या ढैया का प्रभाव कम होता है और इसके साथ ही राहु व केतु के दुष्प्रभाव भी कम होंगे।
- अपनी जन्म कुंडली में शनि के प्रभावों को कम करने और उनकी कृपादृष्टि प्राप्त करने के लिए इस दिन हनुमान चालीसा तथा सुन्दर कांड का पाठ करें। इसके साथ ही काले कुत्ते और कौवे को रोटी खिलाएं।
- शनि जयंती पर उपवास रखना बहुत लाभकारी होगा। इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखें तथा विधीपूर्वक पूजा पाठ के उपरांत सात्विक भोजन करके अपना उपवास खोलें।
भगवान हनुमान जी की पूजा
हनुमान जी की पूजा से शनिदेव प्रसन्न होते है तथा हनुमान भक्तों पर शनिदेव की कृपादृष्टि सदैव बनी रहती है। पौराणिक कथानुसार हनुमान जी ने शनिदेव को रावण के कैद से मुक्त कराया था इसके बाद शनिदेव ने उन्हें वरदान दिया था की जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और समर्पण से आपकी भक्ति करेगा उन पर मेरी विशेष कृपादृष्टि बनी रहेगी तथा उनके जीवन की समस्त बाधाएं दूर होगी।
अतः इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है तथा शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शनिदेव के कृपा प्राप्ति के प्रमुख यंत्र
- हनुमान यंत्र - हनुमान यंत्र को घर में स्थापित करने से सभी रोग और कष्टों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषीय परामर्श के अनुसार ही हनुमान यंत्र की स्थापना करनी चाहिए तथा पूरे विधि विधान से किसी सिद्ध पंडित के द्वारा ही यह कार्य करें। इस यंत्र की स्थापना से आपके घर में सकारात्मकता आएगी तथा जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलेगी।
- शनि यंत्र - शनि यंत्र को घर में स्थापित करने और इसकी नियमित पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते है और शुभ फल प्रदान करते है। यह बात ध्यान रखें कि शनि यंत्र की स्थापना के उपरांत इसकी नियमित पूजा आवश्यक है अन्यथा अशुभ फल प्राप्त होंगे। शनि यंत्र की स्थापना शनि जयंती के दिन करने से विशेष लाभकारी और कालयंकारी होता है।
निष्कर्ष #
शनि जयंती एक आध्यात्मिक अनुष्ठान के साथ-साथ आत्मनिरीक्षण के द्वारा अपने कर्मों पर ध्यान देने का अवसर है। आत्मचिंतन द्वारा बुरे कर्मों तथा आचरण का त्याग करके यह सत कर्म अपनाने का दिन है, जिससे व्यक्तिगत और सामाजिक बुराइयों को दूर करके हम एक सौहार्दपूर्ण परिवेश का निर्माण कर सकें।
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