चंद्रग्रहण 2023: इसके अशुभ और शुभ प्रभाव और सूतक काल का समय जानें

जब हमारी धरती माता सूर्य चन्द्रमा के बीच आती है तब चंद्रग्रहण लगता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ग्रहण एक खगोलीय घटना है किन्तु धार्मिक दृष्टिकोण से इसके कई शुभ तथा अशुभ प्रभाव देखे जाते हैं। इस वर्ष का आखिरी ग्रहण शरद पूर्णिमा तथा पंचांग के अनुसार आश्विन माह के पूर्णिमा के दिन लगने वाला है।
ये चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर 2023 को लगने वाला है। पूरे विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में चंद्रग्रहण लगने वाला है। भारत में ग्रहण की शुरुआत रात के 01 बजकर 06 मिनट पर लगने वाला है तथा 02 बजकर 25 तक ये ग्रहण रहेगा। चंद्रग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पूर्व शुरू हो जाता है तथा ग्रहण समाप्त होने के बाद ही समाप्त होता है।
चंद्रग्रहण के सूतक काल का आरम्भ 28 अक्टूबर 2023 को दोपहर 04 बजकर 06 मिनट से हो जायेगा। चंद्रग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इस विषय में हम आगे चर्चा करेंगे।
ज्योतिष अनुसार चंद्रग्रहण अश्विनी नक्षत्र तथा मेष राशि में लगने वाला है। इसका अर्थ है कि मेष राशि के जातकों को विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है। आश्विन माह में चंद्रग्रहण होने से प्राकृतिक-प्रकोप, भूकंप से जन-धन की भी हानि होने की आशंका रहेगी। व्यापार में भी हानि होने की संभावना बनी रहेगी।
देश पर ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा
28 अक्टूबर 2023 को लगने वाला ग्रहण मेष राशि में लगेगा, तथा मेष राशि की द्योतक दिशा पूर्व दिशा है। अतः इस दिशा में स्थित राज्य तथा इस दिशा में ग्रहण के दौरान यात्रा करने वाले जातकों को कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
इसके साथ ही चंद्रमा का सीधा संबंध प्रकृति से भी है, अतः चंद्रग्रहण का प्रभाव प्रकृति पर भी प्राकृतिक आपदा के रूप में देखी जा सकती है, जैसे: बारिश, भूकंप तूफान इत्यादि।
इसके अलावा महिला जो देश की राजनीति के क्षेत्र से जुड़ी हुई है, उन्हें थोड़ा सावधान रहने की आवश्यकता है।
चंद्रग्रहण के दौरान निम्न उपाय से मिलेगी आपको समस्या से मुक्ति
- चंद्र ग्रहण के सूतक काल में श्रद्धा से भगवान की आराधना करें, उनका ध्यान करें।
- सूतक काल के दौरान चंद्र मंत्र का जाप करना सर्वाधिक लाभदायक रहेगा।
- चंद्रमा के अतिरिक्त राहु और केतु के मंत्रों का जाप करना तथा उनके नाम से दान करना भी लाभदायक सिद्ध होगा।
- चंद्रग्रहण के समाप्त होने पर स्नान अवश्य करें फिर सभी भगवान की मूर्तियों को भी शुद्ध करें।
- चंद्र ग्रहण की समाप्ति के तुरंत बाद घर में गंगाजल छिड़के ।
- यदि आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो चंद्र ग्रहण की अवधि में भगवान शिव के श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- यदि आप किसी समस्या से परेशान है तो इस ग्रहण अवधि के दौरान हनुमान चालीसा का जाप करें।
- यदि आप कोई मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं तो उस मंत्र का निरंतर जाप इस ग्रहण अवधि में कर सकते हैं।
- यदि आप शनि की ढैया या शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित हैं तो ग्रहण के सूतक काल की समाप्ति तक शनि मंत्र का जाप करें।
- यदि आप मांगलिक दोष से पीड़ित हैं तो आप ग्रहण काल के समाप्त होते ही सुंदर कांड का पाठ करें।
- चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद काला तिल, काले वस्त्र, साबुत उड़द, आटा, दाल, चावल, चीनी, श्वेत वस्त्र, आदि वस्तु का दान किसी जरूरतमंद को करें। इस दान को करने का संकल्प ग्रहण काल के दौरान ही ले लें।
- उपरोक्त के अतिरिक्त आप दुर्गा चालीसा, विष्णु सहस्रनाम,श्रीमद्भागवत गीता आदि का पाठ भी कर सकते हैं।
- गर्भवती स्त्रियों को इस दौरान अपना खास ध्यान रखना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान भोजन न बनाये। यदि पहले से बना भोजन बाकी रह गया है तो उसमें तुलसी का पत्ता डाल दें तभी आप उस भोजन को ग्रहण के बाद उपयोग हैं।
- गायत्री मंत्र, शिव मंत्र या कोई भी ऐसा मंत्र जिसके जाप से आपके मन को शांति प्राप्त होती है, उनका जाप आप कर सकते हैं।
- अपने मन को शांत रखने के लिए आप ग्रहण के दौरान ध्यान कर सकते हैं।
चंद्रग्रहण के दौरान न करें निम्न काम
- चंद्र ग्रहण के सूतक काल में कोई भी नया या शुभ काम न करें।
- ग्रहण के सूतक काल में तथा ग्रहण की अवधि के समाप्त होने तक किसी भी तरह के शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करें।
- ग्रहण काल के दौरान किसी भी देवी-देवता की मूर्ति बिल्कुल भी स्पर्श न करें।
- तुलसी के पौधे को ग्रहण के दौरान न छुएं।
- किसी भी धार्मिक स्थान या मंदिर में प्रवेश न करें।
- ग्रहण काल के दौरान किसी भी तरह की धारदार वस्तु का उपयोग बिल्कुल न करें जैसे: चाकू, कैंची, सुई, तलवार आदि।
- चंद्रग्रहण की अवधि के दौरान सोने से परहेज करें।
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