जानिए, क्या है केमद्रुम योग? इसके प्रभाव और शांति उपाय

वैदिक ज्योतिष में सूर्य को यदि आत्मा कहा गया है तो चन्द्रमा को उसका मन। चन्द्रमा के चरणों में हो रहे उतार-चढ़ाव हमारे मन और स्वभाव को भी प्रभावित करता है। हमारे मन के ये उतार-चढ़ाव बेशक कुछ मिनटों का ही क्यों न हो किन्तु ये हमारी मनःस्थिति को उतनी ही गहराई से प्रभावित करता है।
मन में हो रहे उतार-चढ़ाव कई योग का निर्माण करते हैं जो चन्द्रमा के कारकों द्वारा प्रभावित होते हैं। ऐसे ही कुछ योगों में से एक योग "केमद्रुम योग" है। "केमद्रुम योग" चंद्रमा द्वारा निर्मित एक महत्वपूर्ण योग है। किसी जन्म कुंडली में जब चंद्रमा से दूसरे और बारहवें स्थान में कोई भी ग्रह ना हो तो "केमद्रुम योग" बनता है। इसके अलावा यदि चंद्र के साथ कोई अन्य ग्रह ना हो या चंद्र पर किसी अन्य शुभ ग्रह की सीधी दृष्टि नहीं पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में भी "केमद्रुम योग" का निर्माण होता है।
यहां से जानिए अपने जन्म कुंडली में चंद्रमा का स्थान।
जिस व्यक्ति की कुंडली में ये योग बनता है वो आत्मविश्वास से भरे हुए, दृढ़निश्चयी व्यक्ति होते हैं किन्तु इनको अपने जीवन में कुछ कठिनाई का भी सामना करना पड़ सकता है। इनकी मानसिक शक्ति तो बहुत अच्छी होती है किन्तु कई बार इसका दुरुपयोग भी किया जाता है जो कि उचित नहीं है। इस योग के व्यक्ति अक्सर अच्छे सलाहकार, प्रोफेसर, मंत्री, अच्छे वेतन प्राप्त करने वाले व्यक्ति बनते हैं इसके साथ ही राजनैतिक क्षेत्रों में भी बहुत अच्छा करते हैं।
केमद्रुम योग में चन्द्रमा मन के कारको को प्रभावित करता है और मन में अच्छे तथा बुरे दोनों प्रभावों को जागृत करता है। इस योग के व्यक्तियों को उचित मार्गदर्शन की और मदद की आवश्यकता होती है।
यदि आप कठिन परिश्रम करते हैं तो केमद्रुम योग आपको अनेक लाभ भी प्रदान करता है। जब ऐसा कहा जाता है कि केमद्रुम योग आपके जीवन में परेशानी लेकर आता है तो इसका ये अर्थ बिल्कुल नहीं है कि ये परेशानियां आपके जीवन में हमेशा बनी रहेगी।
बर्नी सीगल एक अमेरिकी लेखक और सेवा निवृत बाल चिकित्सा सर्जन के अनुसार, "अपने जीवन में प्रत्येक चुनौतियों को आत्मपरिवर्तन के अवसर की तरह स्वीकार करना चाहिए।"
जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में केमद्रुम योग बनता है उसको जीवन में परेशानी का सामना तो करना पड़ता है लेकिन वही यदि व्यक्ति उन मुश्किलों का सामना करना सीख जाता है तो आत्म परिवर्तन के अपरिहार्य संभावना बन जाती है। चन्द्रमा की सूक्ष्म शक्तियां जब भौतिक तल पर कार्य करती है तो व्यक्ति को अपने सपनों को हकीकत में बदलने में मदद मिलती है।
चन्द्रमा की शक्ति ऐसी है कि ये मनुष्य की सम्पूर्ण मानसिक स्थिति को बना भी सकती है और वही बिगाड़ भी सकती है। केमद्रुम योग आपके जीवन में सफलता और असफलता दोनों के बराबर मौके लेकर आता है। इस योग वाले व्यक्ति अत्यधिक शारीरिक ऊर्जा महसूस करते हैं और उसी के साथ अपने मन को शांत रखने की कोशिश भी जीवन भर करते रहते हैं। अपनी अतिरिक्त ऊर्जा को संतुलित कर आप अपनी व्यक्तिगत विकास के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।
केमद्रुम योग का निर्माण दो स्थितियों में होता है:
1. जब चंद्र भाव से दूसरा और बारहवां भाव रिक्त हो।
2. जब चंद्र के साथ कोई ग्रह ना हो या चंद्र पर किसी अन्य शुभ ग्रह की सीधी दृष्टि नहीं पड़ रही हो।
केमद्रुम योग राजनैतिक क्षेत्र में एक अहम भूमिका निभाता है। राजनैतिक क्षेत्र की बात करें तो केमद्रुम योग का सबसे बड़ा उदाहरण है "राहुल गाँधी", उनकी कुंडली में चन्द्रमा तीसरे भाव में है तथा दूसरे तथा चौथे भाव में कोई ग्रह नहीं है।
आईये इस योग के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव और उसके उपाय देखते हैं:
सकारात्मक प्रभाव:
1. आपको आत्म परिवर्तन के मौके प्रदान करता है।
2. आत्म अनुशासन की कला सीखता है।
3. चुनौतियों का दृढ़ता के साथ सामना करना सिखाता है।
4. ये योग आपको नृत्य, संगीत, गायन, एकाग्रता के माध्यम से अपनी ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करना सीखता है। इस प्रकार ये योग जाने-अनजाने में ही आपकी कलात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को झकझोर देता है।
5. ये योग आपकी छिपी आत्म क्षमता को जागृत करने में मदद करती है, इसके साथ ही हर समस्या से लड़ने का हौसला भी प्रदान करती है।
6. आपको प्रत्येक स्थिति के अनुसार खुद को अनुकूल बनाने की क्षमता प्रदान करती है और आपको आशावादी बनाती है।
7. आपको अपने डर से लड़ने तथा उसको जड़ से खत्म करने की क्षमता प्रदान करती है।
नकारात्मक प्रभाव:
1. आपको घरेलू कष्ट हो सकता है।
2. आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।
3. किसी बात को लेकर अत्यधिक सोचना आपको संकट में डाल सकता है और आपके मन से असफलता का डर बैठ सकता है।
4. आपका आपके माता-पिता खासकर आपकी माता के साथ किसी बात को लेकर अनबन हो सकती है।
5. आप अनैतिक और गलत संगति की ओर आकर्षित हो सकते हैं।
इस योग के नकारात्मक प्रभाव को खत्म कर इसके सकारात्मक प्रभाव को निम्न तरीके से बढ़ाया जा सकता है:
1. आपके माता-पिता आपके लिए ईश्वर समान है इसलिए उनसे किसी प्रकार के विवाद से बचें और प्रत्येक दिन अपने माता-पिता का आशीर्वाद लें। सदैव उनका सम्मान करें और बिना किसी परिणाम की चाह किये उनकी सेवा करें। अपने माता-पिता के साथ समय व्यतीत करना, उनकी सेवा करना आपको नयी ऊर्जा प्रदान करेगा, जो आपके भीतर सकारात्मकता का संचार करेगा।
2. चाँदी चन्द्रमा का प्रतिनिधित्व करती है, अतः गले में चाँदी की चेन या हाथों में चाँदी की अंगूठी धारण करें। चाँदी धारण करने से आपका मन शांत रहेगा और आपकी ग्रहणशील क्षमता बढ़ेगी। आप स्वयं में सकारात्मक महसूस करेंगे।
3. भगवान शिव की पूजा करना आपके लिए अच्छा होगा। रोजाना शिव मंदिर में जाकर शिव की पूजा करना तथा "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करने से आपको ख़ुशी प्राप्त होगी।
4. गरीब और जरूरतमंद लोगों को सफ़ेद कंबल, चीनी और चावल का दान करें।
5. किसी बहती जलधारा में जौ चढ़ाए।
जो लोग महत्वकांक्षी है उनके जीवन में ये योग नवीनीकरण लेकर आता है और व्यक्तित्व में एक चमक पैदा होती है। ये योग आपकी कमियों की पहचान करके आपकी ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने की क्षमता प्रदान करता है।
आपकी कुंडली में ये योग बनता है तो आपको मन एकाग्र करना और खुद को शांत रखना सीखना होगा। आपकी कुंडली में ये योग भेष बदलकर आपको आश्चर्यजनक सुख प्रदान करेगा।
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