शनि को अपना मित्र कैसे बनायें?

हम में से ज्यादातर लोग ये मानते है कि शनि एक नकारात्मक ग्रह है तथा इसके प्रभाव नकारात्मक ही होंगे, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। सबसे पहले तो हमें ये समझना होगा कि वास्तव में शनि क्या है, इसके प्रभाव और दुष्प्रभाव क्या है, कैसे शनि हमारा शत्रु नहीं मित्र है, जब हम ये सारी बातों को समझ जायेंगे तो हम शनि को अपना मित्र बना पाने में सक्षम होंगे।
दूसरी बात ये है कि जातक की कुंडली में शनि की जो स्थिति है, उसे उसी स्थिति में अपनाना आना चाहिए। हर ग्रह की अपनी एक विशेषता है, उसके अच्छे और बुरे लक्षण है जो जातक के ऊपर दिखाई देते है।
शनि के लक्षणों को समझ कर, उसके उपाय से शनि को अपना मित्र बनाया जा सकता है। शनि को ग्रहों का न्यायाधीश और सेवक का दर्जा प्राप्त है, इसका संबंध व्यक्ति के रोजगार और व्यक्ति की आयु से है। शनि बाकी ग्रहों से थोड़ा अलग है, एक बार जब हम उसकी स्थिति को उसी रूप में स्वीकार करना सीख लेंगे तो उसके सबक को समझने में भी आसानी हो जाएगी।
किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले शनि को समझना बेहद आवश्यक है। इसको आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं- कल्पना कीजिए एक सख्त प्राध्यापक जिसकी एक मात्र जिम्मेदारी है अपने छात्रों को अच्छे तरीके से पास करवाना।
ऐसा बिल्कुल हो सकता है कि वो प्राध्यापक बच्चों के प्रिय न हो, उनके बीच प्रचलित न हो किन्तु एक वही है जो अपने छात्रों के हित और उनके बेहतरी के विषय में हमेशा सोचते हैं। प्राध्यापक ने अपने छात्रों की खातिर कठोर होना चुना और अपनी लोकप्रियता को भी जोखिम में डाला ताकि वो अपने छात्रों का बेहतर कर पायें। शनि का स्वभाव भी ठीक इसी प्रकार है, शनि भी ठीक ऐसे ही हैं।
शनि जातक के जीवन में अनुशासन पैदा करता है, जिससे जातक अपने नियत जीवन को पूरी तरह से जी सके। शनि की कुंडली में स्थिति, राशि, चरण, दृष्टि इत्यादि के माध्यम से शनि के प्रभावों को समझा जा सकता है।
एक बार जब आप शनि की स्थिति को समझ जायेंगे तो उसके उपाय कर के उसकी स्थिति में सुधार करना आपके लिए आसान हो जायेगा। हम अपने जीवन में गलती कर सकते हैं, असफल हो सकते हैं लेकिन शनि ग्रह आपको एक ही गलती को दोहराने का मौका नहीं देता। इसलिए इंसान को अपनी हरगलती से कुछ सीखना चाहिए तथा उस गलती को दुबारा न दोहराये इस बात का ध्यान रखना चाहिए। शनि लोगों में अनुशासन पैदा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि जातक अपना अनुशासित जीवन व्यतीत करें।
जब आप अपनी गलतियों से सीखना और उसे सुधारना सीख जाते हैं तथा बिना किसी उम्मीद के इस प्रक्रिया को लम्बे समय तक कायम रखते हैं तो इसके बेहतर परिणाम भी आप अपने जीवन में देख सकते हैं। एक जादुई परिवर्तन आपके जीवन में होना शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे शनि आपके मित्र बन जाते हैं। फिर जैसे-जैसे समय बीतता जाता है शनि एक मित्र की भांति हर वक्त आप के जीवन का मार्गदर्शन करते हैं।
यदि आप बिना किसी उम्मीद के अपना कर्म करते जाते हैं तो शनि देव आपको जीवन में कई पुरस्कार से नवाजते हैं। लेकिन यदि आप अपना कर्म करने के बाद ये सोचने लग जाये कि मैंने अच्छा कार्य किया है और इसके लिए मैं ईनाम का हक़दार हूँ तो फिर शनि कोई भी परिणाम या पुरस्कार नहीं देते बल्कि जीवन में ऐसी स्थिति पैदा कर देते हैं जिससे आप उनके प्रति विनम्र हो जायेंगे। अतः आप अपना कर्म करते जाए और परिणाम की चिंता करना छोड़ दें क्योंकि कर्म ही आपकी पूजा और धर्म है।
नकारात्मक या कमजोर शनि के लक्षण
हर ग्रह की अपनी विशेषता होती है। हर ग्रह के अच्छे लक्षण भी होते हैं और बुरे लक्षण भी होते हैं और ये लक्षण व्यक्ति के ऊपर दिखाई देते हैं। इन लक्षणों को समझ कर आप ग्रहों की स्थिति को जान सकते हैं। ग्रह के प्रभावों को आप व्यक्ति के चेहरे उनके भाव और क्रिया-कलाप से साफ़ समझ सकते हैं। इसके लिए आपको व्यक्ति के स्वभाव और आदतों पर ध्यान देना होगा।
शनि के लक्षण बहुत साफ़ होते हैं और इसको पहचानना सरल होता है। निम्न लक्षणों के माध्यम से शनि के नकारात्मक होने का पता लगाया जा सकता है तथा दिए गए उपाय से उस नकारात्मकता को दूर भी किया जा सकता है:
१. आलस्य और थकान
रात को पूरी नींद लेने के बाद भी दिन भर थकान महसूस होना तथा शक्तिशाली, सक्रिय और ऊर्जावान महसूस न करना। आप प्राणायाम के द्वारा और सांस लेने वाले व्यायाम के माध्यम से इस समस्या का निदान कर सकते हैं।
२. ठंड महसूस होना
यदि आपको लगातार ठंड लग रही हो तो ये भी कमजोर शनि का एक संकेत है। ठंडे पानी से स्नान कर के और ठंड के मौसम में खुद को ढाल कर इस समस्या से आप निजात पा सकते हैं।
३. तनाव
तनाव भी कमजोर शनि का एक प्रमुख लक्षण है। तनाव तो हर किसी के जीवन में आता है किन्तु यदि आप लगातार तनावग्रस्त रहते हैं तो आपको अपने तनाव के कारण को ढूंढ़ना चाहिए और उसके बाद इस तनाव को दूर करने के लिए बेहतर उपाय ढूँढ़ने की कोशिश करें।
४. सुस्ती
यदि आप अपने जीवन में सक्रिय और अपने लक्ष्यों के प्रति जागरूक रहने में असमर्थ हो रहे हैं, आपको सुस्ती घेर रही है तो ये भी कमजोर शनि के लक्षण है, शनि के नकारात्मक प्रभाव के कारण ही ऐसा आपके साथ हो रहा है। आप अपने प्रियजनों के साथ समय व्यतीत करके अपनी इस सुस्ती को दूर कर सकते हैं। ऐसा करना उन लोगों के लिए बेहद जरुरी है जिन लोगों के जीवन का लक्ष्य बड़ा है जिसे पूरा करने के लिए उनको एक व्यावहारिक मार्ग की तलाश भी महत्वपूर्ण है।
५. ख़राब स्वास्थ्य
ख़राब स्वास्थ्य भी कमजोर शनि का एक लक्षण है, इसलिए आप अपने सेहत के विषय को मजाक में या हल्के में न लें। अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपाय की तलाश करें।
६. व्यग्रता या अधीरता
यदि आप में धैर्य की कमी है और आप हमेशा हर कार्य को संपन्न करने की जल्दी में रहती हैं तो ये भी कमजोर शनि का एक लक्षण हो सकता है। अपनी सतर्कता के साथ आप थोड़े स्थिर हो, पहले से ज्यादा सतर्क, नम्र और चौकस रहें। ध्यान करना आपके मन को शांत और स्थिर होने में बेहद मदद करेगा।
७. महत्व समझने में विलंब
यदि आप अपने जीवन के महत्वपूर्ण चीजों को समझने में अधिकांश समय देरी करते हैं, तो यह कमजोर शनि का ही एक संकेत है। आपको अपने जीवन तथा आपके समय के बेहतर प्रबंधन के लिए एक अच्छी योजना बनाने की जरूरत है। ये योजना आपके जीवन को अनुशासित रखेगा और कमजोर शनि से लड़ने में भी आपकी सहायता करेगा।
८. निराशा और मायूसी
शनि आपके जीवन में निराशा और मायूसी पैदा करने के लिए जाना जाता है जिससे आप मजबूत बनते हैं। यदि आप अपनी निराशाओं से लड़ने में असमर्थ होते हैं तो ये आपके जीवन और आपके द्वारा किये जाने वाले हर कार्य को प्रभावित करना शुरू कर देता है। अपनी उम्मीदों पर काबू पाना इस समस्या से निजात पाने का एक बेहतर उपाय है।
९. हानि
यदि आप अपने जीवन में लाभ से ज्यादा हानि का सामना कर रहें हैं तो यह कमजोर शनि का एक लक्षण है। यह एक गंभीर समस्या है और आपको आपके जीवन में शनि के प्रभावों को तथा अपने जीवन की जिम्मेदारियों को गहराई से समझने की आवश्यकता है। जिससे आप एक निष्कर्ष पर पहुँच के इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
१०. अकेलापन
शनि कई बार आपको इस दुनिया से अलग होने का एहसास करा सकता है जिससे आप काफी अकेला महसूस कर सकते हैं। ऐसे में ध्यान करना, आध्यात्मिक दिनचर्या का पालन करना और खुद से दोस्ती करने जैसे उपाय आपको इस समस्या से निपटने में मदद करेगा।
११. भय
यदि आप जीवन में अत्यधिक भय और चिंता का अनुभव कर रहे हैं तो ये भी नकारात्मक शनि का ही एक लक्षण है। इस समस्या से निकलने के लिए आपको अपने जीवन से प्यार करने की आवश्यकता है साथ ही आपको आध्यात्मिक ज्ञान की भी जरूरत है। आप पतंजलि योग सूत्र, अष्टकवर्ग गीता, भगवत गीता आदि पर कुछ भाषण देख सकते हैं, जिससे आप बहुत कुछ सीखेंगे और ये आपको सकारात्मक रहने में भी मदद करेगा।
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