होली आ रही है! जानिए दिनांक, मुहूर्त और महत्वपूर्ण जानकारी
हिंदी पंचांग के अनुसार होली प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह त्योहार बसंत ऋतु के स्वागत के त्यौहार के रूप में भी माना जाता है। लोगों की ऐसी श्रद्धा है कि होली के अलग-अलग रंग ऊर्जा, जीवंतता और आनंद का प्रतीक है। होली के एक दिन पूर्व संध्या के समय होलिका दहन किया जाता है और लोग अग्नि की पूजा करते हैं।
हमारा भारत देश विविधता में एकता का देश है। यहाँ प्रत्येक त्यौहार को बहुत ही खुशी के साथ मनाया जाता है, उसी में से एक होली का त्यौहार भी है। होली का नाम सुनते ही सभी लोग उत्साह से भर जाते हैं। होली भारत का बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग रंग और गुलाल के साथ होली खेलते हैं।
होली की ऐतिहासिकता
होली के पीछे प्रह्लाद से जुड़ी एक कथा है जिसके कारण ही होली का त्योहार मनाना आरंभ हुआ था। प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे; परन्तु उनके पिता हिरण्यकश्यप की ईश्वर में आस्था नहीं थी। प्रह्लाद की इस बात से आहत हो कर वह अपने पुत्र को सबक सिखाना चाहते थे। उन्होंने अपने पुत्र को समझाने के लगभग सारे प्रयास किए, परन्तु प्रह्लाद में कोई परिवर्तन नहीं आया। अंत में जब वह प्रह्लाद को बदल नहीं पाए तो उन्होंने प्रह्लाद को मृत्युदंड देने की योजना बना ली।
अपनी इस योजना में उन्होंने अपनी एक बहन जिसका नाम होलिका था उसकी सहायता ली। ईश्वर के वरदान से होलिका के पास एक चादर थी जिसको ओढ़ कर यदि वो अग्नि में प्रवेश करेगी तो उसका कोई नुकसान नहीं होगा। होलिका ने प्रह्लाद को जलाने के लिए अपनी गोद में बिठाया, और अग्नि में प्रवेश कर गयी।
उस समय भी प्रह्लाद ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार भगवान विष्णु का नाम जप करते रहे। तभी अचानक तेज हवा का झोंका आया और होलिका की ओढ़ी हुई चादर उड़ कर प्रह्लाद के ऊपर आ गिरा। इस तरह प्रह्लाद के स्थान पर वह स्वयं जल गई और 'हरि ॐ' का लगातार जाप करने एवं ईश्वर को समर्पित होने के कारण, उनके आशीर्वाद से प्रह्लाद की आग से रक्षा हो गई और वह सुरक्षित बाहर आ गया। उसी खुशी में प्रत्येक वर्ष होली के पहले होलिका दहन किया जाता है।
होली का शुभ मुहूर्त और दिनांक
इस बार होली का त्योहार 25 मार्च 2024, सोमवार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च 2024 को संध्या के समय 6 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। वहीं, होलिका दहन के दिन भद्रा का शुभ समय सुबह 5 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। अगले दिन सुबह से ही होली का आंनद शुरू हो जायेगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च 2024 |
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 24 मार्च 2024 को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से हो रहा है। |
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि का समापन 25 मार्च 2024 को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। |
होलिका दहन संध्या के समय 11 बजकर 13 मिनट से रात 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। |
होलिका दहन के दिन भद्रा का शुभ समय रात 11 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। |
विभिन्न क्षेत्र में होली कैसे मनाते हैं?
होली का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में इसे सबसे अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली का त्यौहार देखने और मनाने के लिए लोग ब्रज, वृन्दावन, गोकुल जैसे स्थानों पर जाते हैं। इन जगहों पर यह त्यौहार कई दिनों तक मनाया जाता है।
ब्रज में ऐसी प्रथा है, जिसके अनुसार पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं उन्हें डंडे से मारती हैं, यह बहुत ही प्रसिद्ध प्रथा है जो लट्ठ मार होली के नाम से जाना जाता है, जिसे देखने लोग उत्तर भारत से भी जाते हैं।
कई स्थानों पर रंगों की जगह फूलों से भी होली मनाई जाती है और गाने बजाने के साथ सभी एक दूसरे से मिलते है और खुशियाँ मनाया करते हैं।
मध्य भारत एवम महाराष्ट्र में रंग पञ्चमी का अधिक महत्व है, लोग अलग-अलग टोली बनाकर रंग-गुलाल लेकर एक दूसरे के घर जाते है और एक दूसरे को रंग लगाते हैं और रंग लगाते हुए कहते है ‘बुरा न मानों होली है।’
मध्य भारत के इंदौर और बाकी शहरों में होली की कुछ अलग ही धूम होती है, इसे रंग पश्चिम की 'गैर' कहा जाता है, जिसमें पूरा इंदौर शहर एक साथ निकलता है और नाचते गाते त्यौहार का आनंद लिया जाता है। इस तरह होली के आयोजन के लिए 15 दिन पहले से ही तैयारियां की जाती है।
रंगों के इस त्यौहार को 'फाल्गुन महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है, इसमें पुराने गीतों को ब्रज की भाषा में गाया जाता है। होली की खुशी में लोग भांग का पान करते हैं, ये होली का एक विशेष भाग है। नशे में मदमस्त होकर सभी एक-दूसरे से गले मिलते हैं। सारे गिले शिकवे भूलाकर सभी एक दूसरे के साथ नाचते गाते हैं।
होली पर घरों में कई पकवान बनाये जाते हैं, स्वाद से भरे हमारे देश में हर त्यौहार में विशेष पकवान बनाये जाते हैं।
होली के रंगों से प्राप्त शिक्षा
जीवन रंगों से भरा होना चाहिए। प्रत्येक रंग देखने में अलग होने के साथ-साथ उसका अपना एक महत्व भी होता है। यदि सभी रंगों को एक में मिला कर देखा जाए तो वे सभी काले दिखेंगे। ठीक इसी प्रकार व्यक्तियों द्वारा जीवन में निभाई जाने वाली भूमिकाएं, उनके भीतर शांतिपूर्ण एवं पृथक रूप से अलग-अलग तरीके से विद्यमान होनी चाहिए।
जब हमारा मन उज्ज्वल और चेतना शुद्ध, शांत, प्रसन्न एवं ध्यानस्थ हो, तो विभिन्न रंगों के साथ उनकी भूमिकाओं का जन्म होता है। हमें वास्तविक रूप से अपनी सभी भूमिकाओं को निभाने की शक्ति प्राप्त होती है।
होली में निम्न सावधानी बरतना आवश्यक है
होली रंग का त्यौहार है किन्तु इसे सावधानी से मनाया जाना अत्यंत जरुरी है। आजकल रंगों में कई प्रकार के केमिकल की मिलावट होने के कारण लोगों को कई नुकसान होने की संभावना रहती है। अतः सभी लोगों को रंगों की जगह गुलाल से ही होली खेलनी चाहिए।
यदि होली वाले दिन भांग का सेवन कर रहे हैं तो उसमें भी अन्य खतरनाक नशीले पदार्थो का मिलना भी आजकल बहुत आम हो गया है। अतः इस तरह की चीजों से बचना बहुत जरुरी है।
सही और शुद्ध रंगों का चुनाव करें क्योंकि गलत रंगों के उपयोग से आँखों की समस्या हो सकती है साथ ही त्वचा से जुड़ी समस्या के होने का भी बड़ा खतरा रहता है। इसलिए रसायन मिश्रित रंगों से बचने की कोशिश करें।
बाहर का भोजन करने से बचें तथा कोशिश करें की घर में बनी चीजों का ही सेवन करें। रंग लगाने के दौरान किसी के साथ जबरदस्ती न करें। यदि कोई रंग नहीं लगाना चाहता हो तो, जबरदस्ती रंग न लगाए। होली जैसे त्योहारों पर किसी के साथ लड़ाई-झगड़ा होने की भी संभावना होती है किन्तु अपनी तरफ से पूरी कोशिश करें कि किसी प्रकार की कोई लड़ाई न हो।
5. यांत्रिक योग्यता
बढ़ते समय के साथ आजकल तकनीक भी काफी आगे बढ़ गया है। ऐसे में व्यक्ति को कम्प्यूटर, लैपटॉप जैसे उपकरण का ज्ञान होना आवश्यक हो गया है। किसी व्यक्ति में यंत्रों तथा उपकरणों की कितनी समझ है इस गुण का पता मंगल तथा शनि के आपसी संबंध से चलता है।
चूँकि मंगल को केतु का ग्रह कहा जाता है, अतः केतु का संबंध मंगल से होने पर भी व्यक्ति में योग्यता आने की संभावना रहती है।
अतः कुंडली में मंगल, शनि तथा केतु में से किसी दो का भी आपसी संबंध व्यक्ति को यंत्रों की जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है तथा इससे उन्हें आजीविका के क्षेत्र में बेहतर करने का मौका मिलता है।
6. वाकशक्ति
यदि बुध की स्थिति कुंडली में अच्छी हो, तो व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की अच्छी संभावना बन जाती है।
यदि बुध का संबंध दूसरे भाव से जुड़ा हो, तो व्यक्ति की वार्तालाप क्षमता अच्छी हो जाती है। अपने बातों के माध्यम से वो किसी को भी प्रभावित कर सकता है। वाकशक्ति प्रबल होने से इसका लाभ व्यापार में सफलता प्राप्त करने में होता है।
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