Guru Gochar 2023: गुरु ग्रह का मेष राशि में प्रवेश, आपके जीवन में होगा धन का आगमन

वैदिक ज्योतिष में देव गुरु बृहस्पति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। मीन राशि और धनु राशि पर गुरु/बृहस्पति ग्रह का शासन है। गुरु ज्ञान, कर्म, संपत्ति और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण चीजों के कारक हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, किसी भी राशि में बृहस्पति का गोचर जीवन में प्रगति और उन्नति लेकर आता है।
गुरु के विभिन्न राशियों में गोचर के प्रभाव से व्यक्ति की रुचि अध्यात्म और धार्मिक कार्यों में बढ़ने लगती है। इस साल 22 अप्रैल 2023 को गुरु मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। गुरु का यह राशि परिवर्तन अत्यंत शुभ होगा, यह गोचर गज लक्ष्मी योग का निर्माण करेगा। गुरु ग्रह का गोचर कुछ जातकों के जीवन में खुशहाली भी लेकर आएगा।
इस वर्ष 22 अप्रैल 2023 को गुरु ग्रह 12 साल बाद मेष राशि में गोचर कर रहे हैं, जिसकी वजह से 12 साल बाद मेष राशि में गुरु और सूर्य ग्रह की युति बनने जा रही है। शनिवार को प्रातः 04 बजकर 46 मिनट पर गुरु ग्रह मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे और इस राशि में 1 मई 2023 तक रहेंगे।
गुरु के मेष राशि में गोचर करने से आपकी चंद्र राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा, आइये जानते हैं
गुरु के गोचर का मेष राशि पर प्रभाव a
इस वर्ष गुरु का गोचर मेष राशि की कुंडली के पहले भाव में होगा। इसकी पंचम दृष्टि इस राशि के संतान भाव पर और नवम दृष्टि भाग्य स्थान पर होगी। इस प्रकार गुरु ग्रह 22 अप्रैल से पूरे एक वर्ष तक आपके लिए गुरु शुभ परिणाम ही लेकर आएंगे।
इस गोचर के दौरान आपकी उन्नति होगी, आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी तथा आर्थिक क्षेत्र भी मजबूत होगा। इस समय आपको धार्मिक कार्यो के लिए या रोजगार से संबंधित कार्य के लिए लंबी यात्रा करनी पड़ सकती है, इन सभी चीजों का आपको भविष्य में भी लाभ प्राप्त होगा।
उपाय: गौ सेवा करें तथा जरूरतमंदों को दान देकर उनकी मदद करें। गरीबों तथा ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें, इससे समृद्धि बढ़ेगी।
गुरु के गोचर का वृष राशि पर प्रभाव b
इस राशि में गुरू अष्टम और लाभ भाव का स्वामी है। इस गोचर का सबसे बड़ा लाभ उन लोगों को होगा जो लोग किसी प्रकार के शोध कार्य या विज्ञान और ज्योतिषशास्त्र से जुड़े हुए हैं, क्योंकि गुरु यहाँ अष्टम भाव का स्वामी होकर द्वादश भाव में गोचर करेगा।
इस राशि के लोगों की विदेश यात्रा की भी संभावना है। किन्तु इस गोचर के दौरान आपको अपने स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा सजग रहने की आवश्यकता है। कारण इस समय आपका वजन बढ़ने की प्रबल सम्भावना है। इस हेतु आप अपने दैनिक दिनचर्या में व्यायाम व योग को शामिल करें।
उपाय: कुलदेवता की पूजा करें और कन्याओं को फल दान दें तथा दान देते हुए उनके पैर छू कर उनका आशीर्वाद लें। आसपास के चालाक लोगों से दूर रहें।
गुरु के गोचर का मिथुन राशि पर प्रभाव c
इस राशि में गुरु सप्तम भाव व दशम भाव का स्वामी होकर लाभ भाव यानि ग्यारहवें भाव में गोचर कर रहा है। जिन लोगों का विवाह हो गया है उनका वैवाहिक संबंध मधुर होगा तथा जो लोग विवाह करने के लिए प्रयास कर रहे हैं, उनको सफलता मिलने की संभावना है।
इस राशि के पंचम भाव पर गुरु की दृष्टि होगी। अतः इस राशि वालों में जिनको भी संतान प्राप्ति की इच्छा है वो भी सफल होने की संभावना है। गुरु आपके दशम भाव का भी स्वामी है तो छात्रों के लिए यह युति शुभ होगा।
उपाय: अपने घर के तथा आसपास के बड़े-बूढ़ों की सेवा करें, इससे सुख समृद्धि आएगी और गुरु के विपरीत प्रभाव से सुरक्षा प्राप्त होगी।
गुरु के गोचर का कर्क राशि पर प्रभाव d
कर्क राशि में गुरु छठे तथा नवम भाव का स्वामी होकर दशम भाव में गोचर कर रहा है। चूँकि गुरू नवम भाव का स्वामी होकर दशम भाव में गोचर कर रहा है, रोजगार से जुड़े लोगों के लिए यह एक शुभ संयोग है।
दूसरी ओर गुरु छठे भाव का स्वामी होकर दशम भाव में गोचर कर रहे हैं, इसका परिणाम उन लोगों को बहुत अच्छा प्राप्त होगा जो लोग सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। छात्रों के लिए भी यह गोचर बहुत ही शुभ रहने वाला है।
उपाय: किसी के द्वारा दिया गया किसी भी तरह का दान या उपहार स्वीकार न करें। मंदिर में पुजारियों तथा साधुओं की सेवा करें व उनको भोजन आदि करायें।
गुरु के गोचर का सिंह राशि पर प्रभाव e
सिंह राशि में गुरू पंचम तथा अष्टम भाव के स्वामी होकर नवम भाव में गोचर कर रहे हैं। चूँकि कुंडली के नवम भाव में राहु भी उपस्थित होंगे जिसकी वजह से गुरु के गोचर का प्रभाव सिंह राशि के व्यक्तियों के सेहत पर पड़ेगा।
आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है तथा जो वैवाहिक दंपति संतान प्राप्ति के लिए प्रयासरत हैं उनको थोड़ी प्रतीक्षा करनी होगी। अभी इस समय तुरंत कोई परिणाम प्राप्त नहीं होंगे।
उपाय: अपने बड़ों-बुजुर्गो के नाम पर दान-दक्षिणा करें आपके लिए लाभकारी होगा। बृहस्पति से संबंधित वस्तुएं मंदिर में दान करें।
गुरु के गोचर का कन्या राशि पर प्रभाव f
कन्या राशि वालों की कुंडली में गुरू सप्तम तथा चतुर्थ भाव के स्वामी होकर अष्टम भाव में गोचर कर रहे हैं। इस राशि के व्यक्तियों को आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है, अचानक धन वृद्धि हो सकती है। किन्तु इसके साथ ही आपसी संबंध में थोड़ा मतभेद भी उत्पन्न हो सकता है।
यदि इस राशि का कोई व्यक्ति इस गोचर के दौरान विवाह करने की योजना बना रहे हैं तो अभी उसे टाल दे क्योंकि ये समय विवाह के लिए शुभ नहीं होगा। आपके जीवन में कुछ आकस्मिक घटनाएं हो सकती हैं। आपको कहीं-कहीं अपमान का सामना करना पड़ सकता है तथा सेहत भी प्रभावित होगा।
उपाय: आप राहु से जुड़ी चीजें जैसे गेहूं, जौ, नारियल आदि को जल में प्रवाहित करें। घर में घी के दिए जलाएं।
गुरु के गोचर का तुला राशि पर प्रभाव g
तुला राशि के व्यक्ति की कुंडली में गुरु छठे तथा तीसरे भाव के स्वामी हैं तथा राहु के साथ गुरु सप्तम भाव में गोचर कर रहें हैं। इस राशि वाले व्यक्तियों को इस गोचर के दौरान अपनी सेहत का खास ध्यान रखना होगा।
इसके साथ ही आपको अपने जीवनसाथी तथा परिवार के लोगों की सेहत का भी ध्यान रखना होगा। विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं, किन्तु इस समय विवाह के लिए हाँ न करें, इस गोचर में विवाह करना आपके लिए शुभ नहीं होगा। इस गोचर के दौरान तुला राशि के व्यक्तियों को थोड़ा सतर्क रहने की कोशिश करनी चाहिए।
उपाय: यदि संभव हो तो प्रतिदिन मंदिर जायें तथा श्रद्धा भाव से भगवान की पूजा अर्चना करें। नशीली चीजों के सेवन से दूर रहें।
गुरु के गोचर का वृश्चिक राशि पर प्रभाव h
इस राशि में गुरू द्वितीय तथा पंचम भाव का स्वामी होकर छठे भाव में गोचर कर रहें हैं। वृश्चिक राशि के व्यक्तियों के लिए ये एक अच्छा योग है, ये आपको आपके परिश्रम में सफलता दिला सकता है।
यद्यपि पंचमेश इस राशि के छठे भाव में स्थित है जिसके परिणाम स्वरूप पारिवारिक मतभेद हो सकता है किन्तु आप अपनी बुद्धि का प्रयोग करके अपने शत्रुओं को हरा सकते हैं तथा अपने परिवार को एक कर सकते हैं।
उपाय: पीपल के पेड़ की जड़ों में जल अर्पित करें। भूखे लोगों को भोजन करवाएं।
गुरु के गोचर का धनु राशि पर प्रभाव i
धनु राशि वाले व्यक्तियों के लिए गुरू प्रथम तथा चतुर्थ भाव का स्वामी होकर पंचम भाव में गोचर कर रहें हैं। इसके परिणामस्वरूप आपका पारिवारिक जीवन, प्रेम संबंध सभी मजबूत होंगे।
आपको संतान से किसी अच्छे समाचार की प्राप्ति होगी तथा यदि आप संतान प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं, तो आपकी ये योजना भी सफल होगी। छात्रों के लिए भी ये गोचर बहुत शुभ सिद्ध होगा।
उपाय: आप साधुओं और अपने गुरुओं की सेवा करें तथा मंदिर में पीली वस्तु का दान करें।
गुरु के गोचर का मकर राशि पर प्रभाव j
मकर राशि के जातकों की कुंडली में गुरू तीसरे भाव तथा बारहवें भाव का स्वामी होकर चतुर्थ भाव में गोचर कर रहें हैं। इस गोचर के परिणामस्वरूप आपकी अपने पुराने मित्र से मुलाकात हो सकती है तथा वो आपके किसी परेशानी से निकलने में आपकी मदद कर सकते हैं।
इस राशि में गुरु बारहवें भाव का भी स्वामी है जिसके परिणामस्वरूप आपको कोई मानसिक परेशानी हो सकती है।
उपाय: गुरुवार का व्रत रखें तथा बृहस्पति देव की पूजा करें। कच्चा नमक, चने की दाल तथा हल्दी का दान करें।
गुरु के गोचर का कुंभ राशि पर प्रभाव k
कुंभ राशि वालों की कुंडली में गुरु दूसरे तथा तीसरे भाव के स्वामी हैं तथा ग्यारहवें भाव में गोचर कर रहें हैं। ये 2, 3 तथा 11 का योग इस राशि के व्यक्तियों के लिए अत्यंत शुभ सिद्ध होगा। इस राशि को हर तरफ से धन लाभ होने की संभावना है।
इस राशि के व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी तथा मित्रों का साथ भी प्राप्त होगा।
उपाय: गुरू की स्थिति को मजबूत रखने के लिए ज्योतिष परामर्श से पुखराज धारण करें। बृहस्पतिवार के दिन पीली वस्तु को भोजन में शामिल करें।
गुरु के के गोचर का मीन राशि पर प्रभाव l
मीन राशि की कुंडली में गुरु प्रथम भाव व दशम भाव का स्वामी होकर दूसरे भाव में गोचर कर रहा है। इस युति का लाभ आपको पारिवारिक तौर पर मिलेगा जैसे आपके परिवार में कोई अच्छी खबर आपको सुनने को मिल सकती है।
इस राशि वालों को रोजगार से जुड़े लाभ प्राप्त होंगे जैसे वेतन वृद्धि, पदोन्नति इत्यादि। यदि आप सोना खरीदने का विचार कर रहे हैं तो इस समय सोना खरीदना आपके लिए शुभ है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है अन्यथा कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है।
उपाय: गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें तथा केले के पेड़ की पूजा कर उसके जड़ में जल अर्पित करें। गुड़ तथा चने का भोग बृहस्पति देव को लगायें।
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