Diwali & Bhai dooj 2023: शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि के साथ मनाएं दिवाली लक्ष्मी पूजन से भाई दूज तक का खास पर्व !!

भारतीय संस्कृति में त्योहारों का खास महत्व है। दीपावली, गोवर्धन पूजा व भाईदूज जैसे पर्व वर्ष के महत्वपूर्ण माने जाने वाले त्योहारों में से एक हैं, जिनका आयोजन विशेष आनंद और धर्मिक भावना के साथ किया जाता है। ये त्योहार खुशियों, प्रेम और परिवारिक एकता का अद्वितीय भाव प्रस्तुत करते हैं।
आज इस ब्लॉग में इन तीनों पर्व की विशेषता को जानने की कोशिश करेंगे। सबसे पहले दीपावली के बारे में बात करें तो 'अँधेरे पर उजाले की विजय' वाला पर्व 'दीपावली' कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। दीयों का ये त्योहार अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है जैसे उत्तर भारत में 'दीपावली', दक्षिण भारत में 'नारक चतुर्दशी', और पश्चिम बंगाल में 'काली पूजा' कहलाता है।
इस वर्ष दीपावली 12 नवंबर 2023 को पूरे भारत में धूम-धाम से मनाया जायेगा। दीपावली के दिन यदि आप पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करेंगे तो आपके जीवन में समृद्धि का मार्ग खुलेगा और आपकी सभी मनोकामना भी पूरी होगी।
भारत में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। दीपावली शब्द मुख्य रूप से संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' और 'आवली' अर्थात 'पंक्ति' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से बनी हुई है। दीपावली त्योहार के नाम को लोग अलग-अलग तरह से बोलते हैं जैसे कुछ लोग 'दीपावली' तो कुछ 'दिपावली'; वही कुछ लोग 'दिवाली' तो कुछ लोग 'दीवाली' शब्द का प्रयोग करते है।
दीपवाली का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 12 नवंबर 2023 को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से आरंभ होने वाला है। इसका समापन 13 नवंबर 2023 के दोपहर 2 बजकर 55 मिनट पर हो जायेगा। धर्म के अनुसार तो उदया तिथि के आधार पर पर्व मनाये जाते हैं, लेकिन दीपवाली के दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के समय करना शुभ होता है।
इसी प्रदोष काल की पूजा का समय 12 नवंबर को प्राप्त हो रहा है, इसलिए इस साल दीपवाली 12 नवंबर 2023 को मनाया जा रहा है।
मान्यता
प्राचीन हिंदू ग्रन्थ रामायण के अनुसार ऐसा माना जाता है कि 14 वर्ष का वनवास काटकर माता सीता और लक्ष्मण को लेकर भगवान श्री राम वापस अयोध्या आये थे। इसी खुशी में चारों ओर डीप जलाकर खुशी से उनका स्वागत किया गया था और तब से ही दीपों का ये त्योहार पूरा भारतवर्ष मना रहा है।
पूजा विधि
दीपावली को सभी धन-समृद्धि की देवी, माता लक्ष्मी से जुड़ा हुआ मानते हैं। माता लक्ष्मी के साथ-साथ विघ्नहर्ता गणेश, ज्ञान की देवी माता सरस्वती तथा धन प्रबंधक कुबेर की पूजा करके उनको प्रसाद अर्पित करते हैं। संपूर्ण पूजा की विधि निम्न
दीपावली के दिन मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। 5 दिनों का ये पवन पर्व शुरू करने से पहले घर की साफ-सफाई अच्छे तरीके से कर लें। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अपने घर की साफ-सफाई आवश्यक है। पूजा विधि शुरू करने के लिए सबसे पहले आप पूजा स्थान को साफ करें और एक चौकी को साफ कर उस चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
उसके बाद उस चौकी पर माँ लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति की स्थापना करें। यदि संभव हो तो मिट्टी की बनी नयी मूर्ति स्थापित करें और ध्यान रहें कि गणेश जी के दाए तरफ ही माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
इनके साथ आपको भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की भी स्थापना करनी चाहिए।
पूजा के स्थान पर और चौकी पर गंगाजल छिड़के। लाल या पीले फूल से भगवान गणेश की पूजा करें और उनके मंत्र - 'ऊँ गं गणपतये नम:' का जाप करें।
गणेश जी के मंत्रों के जाप से ही पूजा का आरंभ करना चाहिए।
भगवान गणेश को तिलक लगाकर दूर्वा तथा मोदक अर्पित करें।
माता लक्ष्मी की पूजा भगवान गणेश के साथ ही करें, पूजा के दौरान माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और श्री सूक्त मंत्र का पाठ करें। इनके साथ ही आप धन कुबेर और मां सरस्वती का भी पूजन करें।
माता लक्ष्मी तथा भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करने के बाद मां काली की पूजा भी रात्रि के समय में किया जाता है।
पूजा के अंतिम चरण में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करें।
माता लक्ष्मी और गणेश जी के पूजा के बाद दीये प्रज्वलित करें। सबसे पहले माँ लक्ष्मी के सामने 5 या 7 घी के दीये प्रज्वलित करें।
हम सभी को दीपावली के दिन सच्चे और साफ मन से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। तभी सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होगा और पूजा सफल मानी जाएगी।
दीपावली के बाद आने वाले त्योहारों में गोवर्धन पूजा और भाई दूज महत्व पूर्ण होता है
गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा भारत में हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है।
गोवर्धन पूजा का महत्वपूर्ण पौराणिक कारण है। जगत विदित है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने छोटी उंगली पर उठा लिया था। बृजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के चारों ओर अन्न की भरमार से उसे चारों ओर से ढक दिया था, जिससे उन्होंने भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त की थी। ब्रज क्षेत्र में गोवर्धन पूजा के दौरान, विभिन्न रासलीला, काव्यार्थ, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
भाई दूज का महत्व
ये पर्व भाई-बहन के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। भाई दूज पर बहनें अपने भाई के माथे पर हल्दी और रोली का तिलक लगाती हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि भाई बहन एक साथ बैठकर भोजन करें तो उनके जीवन में समृद्धि आती है तथा उनके बीच का प्रेम भी सदा बना रहता है।
- दीपावली के ठीक दो दिन बाद भाई-बहन का पावन पर्व भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। आइये भाई दूज के विषय में कुछ जानकरी प्राप्त करें
- भाई दूज: दीपावली के ठीक दो दिन बाद यानि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन की तरह ये पर्व भी भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है। भाईदूज को भाई टीका या यम द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है।
- भाई दूज के दिन भाईयों को बहनों के द्वारा टीका लगाने का सबसे अधिक महत्व दिया गया है इसका कारण ये है कि बहनें रोली, चंदन और अक्षत का टीका भाई को करती है और उनकी लंबी उम्र की कामना करती है। ऐसा माना जाता है कि बहनों के द्वारा जब पूरे विधि से पूजा की जाए तो भाई के जीवन पर यम का खतरा नहीं होता, भाई की अकाल मृत्यु नहीं होती।
भाई को टीका लगाने के अलावा इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है। चित्रगुप्त भगवान को कलम का देवता माना जाता है और ये सभी मनुष्य के जीवन का लेखा-जोखा रखते हैं।
मुहूर्त
पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि की शुरुआत 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 37 मिनट से शुरू हो रही है तथा इसकी समाप्ति 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर होगा। 14 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर के 03 बजकर 19 मिनट तक ही शुभ मुहूर्त है।
इस दिन भाई दूज पर शोभन योग बन रहा है, जिसे शुभ माना जाता है। किन्तु हिन्दू धर्म के अनुसार कोई भी पर्व उदया तिथि पर ही मनाया जाता है और उस अनुसार देखा जाये तो भाई दूज का पर्व 15 नवंबर 2023 को मनाया जायेगा।
भाई को टीका करने का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक है।
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