योगिनी दशा: जानिए इसके महत्व, प्रभाव, और उपाय

जिस प्रकार से विंशोत्तरी महादशाएं ज्योतिष फलादेश में महत्त्वपूर्ण होता है ठीक उसी प्रकार योगिनी का फल भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कुल मिलाकर 8 योगिनी दशाएं होती है और हर योगिनी का एक स्वामी है जो उसे संचालित करता है।
इन सभी दशाओं का आधार 9 ग्रहों पर ही आधारित है, इसलिए 9 ग्रहों के आधार पर ही ये भी फल देते हैं। चंद्रमा के नक्षत्र के आधार पर योगिनी की दशा की गणना की जाती है।
हमारे योगिनी कैलकुलेटर के माध्यम से जानें कि आपकी कौन सी योगिनी दशा चल रही है और आप क्या उपाय कर सकते हैं।
मंगला दशा
'मंगला मंगलम करोत सर्वदा' अर्थात ये दशा हमेशा आपका मंगल करती है। मंगला दशा पहली योगिनी दशा है। मंगला दशा के स्वामी 'चंद्रमा' है तथा इसकी 'एक वर्ष' की है। मंगला योगिनी को शुभ दशा माना गया है किन्तु ये बिल्कुल जरुरी नहीं है कि ये दशा अपनी पूर्ण अवधि में शुभ फल ही देगा क्योंकि प्रत्येक योगिनी के दशा के साथ-साथ किसी दूसरे योगिनी की अंतर्दशा भी चलती रहती है।
यदि योगिनी अंतर्दशा योगिनी दशा के समान हो तो आपको इसका सबसे शुभ फल मिल सकता है। आपको भौतिक सुख- सम्पत्ति की प्राप्ति होगी तथा आप एक आरामदायक जीवन व्यतीत करेंगे। चूँकि मंगला दशा के स्वामी चंद्रमा है इसलिए इसका सीधा प्रभाव आपके व्यक्तिगत सम्बन्ध पर पड़ेगा, आप अपने विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित हो सकते हैं, साथ ही आपके विवाह होने की संभावना भी बनती है।
उपाय: 'ॐ ऊं नमो मंगले मंगल कारिणी, मंगल मे कर ते नम:’ मंत्र का जाप आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा। चंद्रमा को माता का प्रतीक भी कहा गया है इसलिए इस दशा के लोगों को अपनी माता की सेहत का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। माता साथ-साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखें।
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पिंगला दशा
योगिनी दशा क्रम के दूसरे चरण में पिंगला योगिनी दशा आती है। पिंगला के स्वामी 'सूर्य' हैं, जो एक क्रूर ग्रह है। सूर्य से संबंधित इस दशा में व्यक्ति को संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड़ता है। इस दशा की अवधि 2 वर्ष की होती है।
पिंगला योगिनी दशा में आपको शारीरिक कष्ट के साथ-साथ मन में द्वंद की स्थिति बनी रहती है, धन का नाश होता है, जमीन से जुड़े कार्य में विवाद होता है तथा घर परिवार से दूर जाना पड़ सकता है। पिंगला योगिनी दशा में पूरे दो वर्ष एक जैसे नहीं रहते, इसकी अंतर्दशा शुरू हो जाने के बाद शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के प्रभाव मिलते हैं।
इस समय में आपकी अधिकांश समस्या आपके व्यवहार और आपके बिना सोचे लिए गए निर्णय लेने की वजह से उत्पन्न होगी। यदि आप सावधानी से काम नहीं लेंगे तो आपको धन हानि हो सकती है। चूँकि सूर्य देव पुरुष का प्रतीक हैं, इसलिए इस अवधि के दौरान अपने पिता और अपने घर के पुरुष रिश्तेदार के स्वास्थ्य और उनकी भलाई का ध्यान रखना जरुरी है।
उपाय: ‘ॐ पिंगले वैरिकारिणी, प्रसीद प्रसीद नमस्तुभ्यं' मंत्र का जाप आपको करना चाहिए। अपने आसपास के किसी मंदिर में जाकर वहां के लोगों को भोजन करवायें। इससे आपके मन को शांति प्राप्त होगी और आपको अपने जीवन की मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत मिलेगी।
धान्या दशा
‘धान्या’ योगिनी दशा की तीसरी दशा है। इस दशा की अवधि 3 वर्ष की होती है तथा इसके स्वामी 'बृहस्पति देव' है। धान्या का अर्थ है अनेक प्रकार के सुख, धन संपदा से धन्य करने वाली और इसलिए इस अवधि में सभी चीजें सुखद और आपके अनुकूल होती है।
ये दशा, जैसे ही आपके जीवन में प्रवेश करती है इन तीन वर्षों के अंदर आपके भाग्य का सृजन कर देती है। विभिन्न क्षेत्र में लाभ और सफलता हासिल होगी तथा वर्षो से चला रहे व्यापार में भी इस दशा के शुरू होते ही वृद्धि होने लगेगी, इतने दिनों से ठप व्यापार में अचानक लाभ हासिल होने लगेगा।
आपको रोजगार के क्षेत्र में भी तरक्की प्राप्त होगी, आय वृद्धि, पदोन्नति तथा नयी और बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। यदि आप नौकरी की तलाश कर रहें है, तो इस अवधि में आपको मनचाही नौकरी भी प्राप्त होगी। भाग्य का अच्छा होना जीवन में बहुत आवश्यक है, भाग्य के अच्छे होने से जीवन में बेहतर होता है और खुशहाली आती है और इस दशा की अंतर्दशा आपके लिए अच्छा और शुभ भाग्य ले कर आता है।
जिसके बाद आपके जीवन में बहुत कुछ अच्छा होना शुरू हो जाता है। इस अवधि के दौरान आपको यात्रा का सुख भी प्राप्त होगा और रोजगार के संबंधित यात्रा करने की भी संभावना है। आपको इस अवधि के दौरान आप झूठे वादों और अभिमान करने से बचें क्योंकि आपका ऐसा स्वभाव आपको नुकसान पहुंचा सकता है।
उपाय: ‘ॐ धान्ये मंगल कारिणी, मंगलम मे कुरु ते नम:’ का प्रतिदिन जाप करें। ईश्वर की कृपा से इस अवधि के दौरान आपका भाग्य आपके साथ है तो आपको प्राप्त हो रहे लाभ का अपनी क्षमता अनुसार थोड़ा हिस्सा जरूरतमंद लोगों की सहायता में लगाए। आप जितना अधिक लोगों की मदद करेंगे, आपको उतने ही अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
भ्रामरी दशा
‘भ्रामरी’ दशा योगिनी दशा की चौथी दशा है। इसकी अवधि चार वर्ष की है तथा इसके स्वामी 'मंगल' है। वैसे तो भ्रामरी दशा को अशुभ दशा माना गया है किन्तु ये जरुरी नहीं है कि इस पूरे चार साल की अवधि में ये केवल अशुभ परिणाम दे। क्योंकि प्रत्येक दशा के अंतर्गत अन्य योगिनी की अन्तर्दशा भी आती है और जब शुभ योगिनी की दशा आयेगी अशुभ योगिनी की अंतर्दशा में तब कहीं न कहीं मिश्रित फल प्राप्त होगा।
भ्रामरी जैसा की इस नाम से ''भ्रमण'' का अर्थ प्रतीत होता है, ठीक उसी तरह इस अवधि के दौरान आप देश-विदेश की यात्रा करेंगे। आपको विदेश यात्रा के अवसर तो प्राप्त होंगे किन्तु आपको इस भ्रमण से कई बार कष्ट भी प्राप्त हो सकता है। आपकी इन यात्राओं के परिणाम हर बार शुभ हो ऐसा जरुरी नहीं है, आपको वित्तीय नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है।
मंगल के प्रभाव की वजह से यदि आप अपनी नौकरी बदलते है तो ऐसी संभावना है कि आपको अपने घर से दूर रहना पड़ सकता है। जीवन में लगातार परेशानियों बनी रहने की वजह से आपका स्वभाव चिड़चिड़ा और झगड़ालू हो सकता है। आपको ये सलाह दी जाती है कि किसी भी कार्य को करने से पहले अपने मन को शांत रखें और धैर्य के साथ काम लें। यदि आप सच्चे मन और लगन के साथ काम करते है तो किसी भी परेशानी से बाहर आ सकते हैं।
उपाय: ‘ॐ नमो भ्रामरी जगतानामधीश्वरी भ्रामर्ये नम:’ मंत्र का जाप आपके मन को शांत रखने में आपकी मदद करेगा। चूँकि इस दशा के स्वामी मंगल है तो आपको भगवान हनुमान की पूजा करनी चाहिए तथा लाल वस्तुओं का दान करना चाहिए।
भद्रिका दशा
'भद्रिका' शब्द का अर्थ है 'कल्याण' अर्थात ये दशा हर तरह से कल्याणकारी होगा। 'भद्रिका' योगिनी दशा की पांचवी दशा है,तथा इसके स्वामी 'बुध' है और इसकी अवधि पांच साल की होती है। बुध का प्रभाव हमेशा शुभ ही होता है इसलिए इस अवधि को भी प्रायः शुभ ही माना गया है।
इस अवधि के दौरान आपको समाज में एक सम्मानजनक स्थान प्राप्त होगा, प्रभावशाली लोगों से मिलने का मौका मिलेगा। ये नया संपर्क जो आप स्थापित कर रहे है वो आपको आपके करियर की प्रगति में मदद करेगा। आपको ये सलाह दी जाती है कि आप किसी भी तरह के गलत कार्यों की तरफ आकर्षित न हो क्योंकि ऐसा करना आपके लिए और आपके भविष्य के लिए समस्या खड़ी कर सकता है।
उपाय: 'ॐ भद्रिके भद्रं देहि देहि, अभद्रं दूरी कुरु ते नम:’ मंत्र का इस दशा की अवधि के अंतर्गत जाप करना चाहिए। हरे रंग की वस्तुओं का दान आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा। बुध भी आपसे प्रसन्न रहेंगे।
उल्का दशा
‘उल्का’ योगिनी दशा की छठी योगिनी दशा है। इसकी अवधि 6 वर्ष की होती है तथा इसके स्वामी 'शनि' को माना गया है। उल्का को एक अशुभ दशा माना गया है। शनि की छाया की वजह से इस अवधि को चुनौतीपूर्ण माना गया है तथा इस दौरान आपका जीवन प्रतिकूल दशा में चलने की संभावना है।
ये दशा हमेशा अशुभ फल ही दे ऐसा जरूरी नहीं है। इस दशा के स्वामी शनि है तो इस दशा में आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं में कुछ न कुछ चुनौती का सामना आपको करना ही पड़ेगा। ऐसी परिस्थिति में खुद पर संयम रखें और शांति के साथ किसी भी कार्य को पूरा करें।
उपाय: आपको ‘ॐ उल्के विघ्नाशिनी कल्याणं कुरु ते नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए। यदि प्रतिदिन संभव न हो तो कम से कम शनिवार के दिन अवश्य इस मंत्र का जाप करें। काली वस्तु जैसे कला तिल, काले वस्र तथा सरसों के तेल का दान करना आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
सिद्धा दशा
‘सिद्धा’ सातवीं योगिनी दशा है। इसकी अवधि 7 वर्ष की होती है तथा इसके स्वामी 'शुक्र' हैं। शुक्र की कृपा की वजह से ये अवधि आपको अनुकूल और सुखद प्रभाव देती है। सिद्धा दशा हर प्रकार से आपका शुभ करती है। ये दशा आपके अनुकूल है जिसकी वजह से यदि आप कोई कार्य आरंभ करते है तो उसके शुभ परिणाम आपको अवश्य प्राप्त होंगे।
यदि आपको किसी कार्य के न होने की आशंका है तो आप उस कार्य को यदि इस अवधि में करेंगे तो वो कार्य अवश्य पूरा होगा और आपको सफलता भी हासिल होगी। आपके जीवन में पहले से चल रही परेशानियों से इस अवधि में आपको कुछ राहत मिल सकती है।
आपके जीवन में अच्छे कार्य होंगे, आपको शुभ समाचार मिलने की संभावना है। आपकी रोजगार के क्षेत्र में भी उन्नति होगी जैसे आपकी आय बढ़ सकती है या आपकी पदोन्नति हो सकती है। आपके घर में शुभ अवसर आयेंगे, घर में विवाह होने की संभावना है या परिवार के किसी सदस्य को संतान प्राप्ति होगी।
उपाय: प्रतिदिन सुबह के समय आपको ‘ॐ नमो सिद्धे सिद्धिं देहि नमस्तुभ्यं’ मंत्र का जाप करें। सफेद वस्त्र, चावल, घी, चीनी आदि किसी कन्या को दान करना आपके लिए शुभ होगा।
संकटा दशा
‘संकटा’ योगिनी दशा की आठवीं दशा है। इसकी अवधि 8 वर्षो की है तथा इसके स्वामी 'राहु' को माना गया है। राहु के प्रकोप की वजह से इस अवधि का परिणाम प्रतिकूल होता है। जैसा कि सभी जानते है कि राहु को दुर्भाग्य, दुख और शोक लाने के लिए जाना जाता है, इसलिए इस अवधि के दौरान भी आपको अपने जीवन के सभी पहलुओं में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
आपके रोजगार के क्षेत्र में भी स्थिति आपके अनुकूल नहीं होने की संभावना है। ऐसी संभावना है कि कार्य क्षेत्र में आपको आपके वरिष्ठ आपके विचार से सहमत नहीं होंगे और आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में आपका समर्थन न दें।
आपको ये सलाह दी जाती है कि बातचीत के दौरान आप शांत और विनम्र रहने की कोशिश करें क्योंकि आपका बुरा व्यवहार आपकी नौकरी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता हैं। इस अवधि के दौरान आप अपने किसी प्रियजन को खो सकते है। जल्दबाजी में कोई भी फैसला लेने से बचें।
उपाय: ‘ॐ ह्रीं संकटे मम रोगम् नाशय स्वाहा' मंत्र का जाप आपके लिए शुभ होगा। लाल चंदन का टिका लगाए इससे आपका मन शांत होगा। लोहे का छल्ला या लोहे की कोई भी चीज को अपने पास रखें।
निष्कर्ष #
इस blog को पढ़ने के बाद अब यदि आप ये जानना चाहते हैं कि आखिर वर्तमान समय में आपकी कौन सी योगिनी दशा हैं तथा वर्तमान योगिनी दशा का आपके जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ेगा तथा ये प्रभाव कब तक आपके जीवन में रहेगा? तो आप अपने इन सभी सवालों के उत्तर प्राप्त कर सकते है।
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