12 राशियों के योगकारक ग्रह: मेष से मीन तक—आपकी लग्न का भाग्य बदलने वाला ग्रह कौन है?

योगकारक ग्रह कब सक्रिय होते हैं?
आपके योगकारक ग्रह तभी सबसे तेज फल देते हैं जब:
1. उनकी महादशा या अंतरदशा चल रही हो (यह 'समय' है)।
2. उनका गोचर लग्न, 5वें, 9वें, या 10वें भाव से हो रहा हो (यह 'सक्रियण' है)।
3. वे वक्री होकर बलवान हो रहे हों या नवांश में मजबूत स्थिति में हों।
वैदिक ज्योतिष में आपका भाग्य तीन तत्वों से बनता है: ग्रहों की दशा, आपका कर्म और सही समय। जानें कौन से योगकारक ग्रह आपकी किस्मत बदल सकते हैं। आप इससे संबंधित जानकारी ब्लॉग पार्ट - 1 में देख सकते हैं।
लग्न/राशि से सम्बंधित योगकारक ग्रहों का विस्तृत विश्लेषण
1. मेष — भाग्य बदलने वाले ग्रह कैसे पहचानें?
मेष राशि/लग्न के लोग स्वाभाविक रूप से साहसी, ऊर्जावान और नेतृत्व-क्षमता वाले होते हैं। आपका भाग्य किसी एक ग्रह से नहीं, बल्कि गुरु (बृहस्पति) और शनि की मजबूत जोड़ी से तय होता है।
भाग्य-चालक: आपका 5वां स्वामी सूर्य (आत्मविश्वास) है, 9वां स्वामी गुरु (भाग्य/धर्म) है, और 10वां स्वामी शनि (कर्म/व्यवसाय) है। गुरु और शनि की यह जोड़ी आपकी कुंडली में धर्म-कर्माधिपति राजयोग बनाती है, जो सबसे बड़े राजयोगों में से एक है। यह जोड़ी आपको जीवन में सही दिशा, उच्च शिक्षा और करियर में स्थिरता देती है।
कब तेज असर? जब गुरु या शनि की दशा-अंतरदशा चलती है, या जब ये ग्रह आपके लग्न/5/9/10 भावों से गोचर करते हैं। मंगल (लग्न स्वामी) की ऊर्जा आपको अवसर को लपकने की ताकत देती है। यदि गुरु कर्क में उच्च या शनि तुला में उच्च हो, तो परिणाम अविश्वसनीय होते हैं।
कमजोरी/सुधार: आपको अक्सर जल्दबाजी, अत्यधिक क्रोध, और निर्णय लेने में उतावलेपन पर नियंत्रण रखना होता है। मंगल की ऊर्जा को सही दिशा में लगाने के लिए नियमित व्यायाम और अनुशासन जरूरी है।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ गुं गुरवे नमः" (गुरुवार), "ॐ शं शनैश्चराय नमः" (शनिवार) का जाप करें। कर्म-मार्ग: वरिष्ठों का सम्मान करें, अपने समय-पालन को बेहतर करें, और रोज कुछ नया सीखें (गुरु)।
जानिए हमारे प्रधान ज्योतिषी से कि कौन-से ग्रह आपके लिए योगकारक हैं।
2. वृषभ
वृषभ राशि/ लग्न के लोग स्थिरता, सुंदरता, भौतिक सुख-सुविधाओं और धन संचय को प्राथमिकता देते हैं। आपके लिए सबसे बड़ा जीवन-परिवर्तक और भाग्य का संचालक शनि है।
भाग्य-चालक: आपके लिए शनि एक योगकारक ग्रह है क्योंकि वह 9वें (भाग्य) और 10वें (कर्म) दोनों भावों का स्वामी है। यह ग्रह अकेला ही आपके भाग्य और करियर की दिशा को नियंत्रित करता है। साथ में 5वां स्वामी बुध (बुद्धि/लाभ) भी सहयोगी होता है।
कब तेज असर? शनि या बुध की दशा-अंतरदशा आपके भाग्य को अचानक मोड़ देगी। शनि का गोचर जब लग्न/5/9/10 पर होता है, तो लंबे समय से अटके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं। अगर शनि बलवान हो (तुला, मकर या कुम्भ में), तो आपको दीर्घकालिक सफलता और स्थायित्व मिलेगा।
कमजोरी/सुधार: आपका स्वामी शुक्र है, जो आरामदायक जीवन पसंद करता है। सफल होने के लिए आपको अपनी आलस्य और चीजों को टालने की आदत को छोड़ना होगा, क्योंकि शनि अनुशासन, विलंब और कठिन परिश्रम मांगता है।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करें। कर्म-मार्ग: श्रम-अनुशासन, यथार्थ लक्ष्य बनाना और समय-पालन आपके कर्म को बल देगा। तिल/तेल का दान या श्रम-सेवा (नीचे के कर्मचारियों की मदद) आपके भाग्य को मजबूत करती है।
3. मिथुन
मिथुन राशि/लग्न के लोग स्वाभाविक रूप से बौद्धिक, संचार-कुशल और चंचल स्वभाव के होते हैं। आपका भाग्य किसी एक ग्रह से नहीं, बल्कि गुरु और शनि की दूरदर्शिता और स्थायित्व से संचालित होता है।
भाग्य-चालक: आपका 5वां स्वामी शुक्र (ज्ञान/लाभ) है, 9वां स्वामी शनि (भाग्य/धर्म) है, और 10वां स्वामी गुरु (करियर/पैशा) है। शनि और गुरु की जोड़ी आपको शिक्षा, उच्च ज्ञान और स्थिर करियर की ओर प्रेरित करती है। शुक्र का बल आपको रचनात्मक और सामाजिक सफलता देता है।
कब तेज असर? गुरु, शनि, या शुक्र की दशा या अंतरदशा के दौरान बड़े बदलाव आते हैं। गुरु (करियर) और शनि (भाग्य) का मजबूत संबंध आपको विदेश यात्रा, उच्च शिक्षा और सरकारी क्षेत्रों में सफलता दिला सकता है।
कमजोरी/सुधार: लग्न स्वामी बुध होने के कारण आप अत्यधिक चंचलता और विचारों में अस्थिरता देता है। आपको एक समय में एक ही लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने और नियमितता को बनाए रखने पर काम करना चाहिए।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ बुद्धाय नमः", और "ॐ श्रीं श्रीये नमः" (शुक्र) का जाप करें। कर्म-मार्ग: नियमित रूप से अपनी योग्यताओं को उन्नत करें, वाणी स्पष्ट और विनम्र रखें, और लिखित दैनिक नियम का पालन करें।
4. कर्क
कर्क राशि/लग्न के लोग भावनात्मक, संवेदनशील और पारिवारिक सुख को प्राथमिकता देने वाले होते हैं। आपके लिए सबसे बड़ा जीवन-परिवर्तक और भाग्य का संचालक मंगल है।
भाग्य-चालक: मंगल आपके लिए एक योगकारक ग्रह है क्योंकि वह 5वें (ज्ञान/संतान) और 10वें (कर्म/करियर) दोनों भावों का स्वामी है। यानी, आपकी बुद्धि, निर्णय लेने की क्षमता (5वां) और आपका करियर (10वां) एक ही ग्रह, मंगल, से संचालित होते हैं। साथ में 9वां स्वामी गुरु (भाग्य/धर्म) सहायक होता है।
कब तेज असर? मंगल या गुरु की दशा-अंतरदशा के दौरान जीवन में बड़े मोड़ मिलते हैं। मंगल का गोचर जब लग्न/5/9/10 पर होता है, तो नौकरी में पदोन्नति, जमीन-जायदाद से लाभ और अचानक सफलता मिलती है।
कमजोरी/सुधार: आपका लग्न स्वामी चंद्र है, जो अत्यधिक भावुकता और मन की चंचलता देता है। आपको अपनी भावनाओं को संतुलित रखना होगा। मंगल की ऊर्जा को गुस्सा और झगड़ों में लगाने के बजाय, उसे करियर के लक्ष्य या व्यायाम में लगाना चाहिए।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" (मंगल) का जाप करें। कर्म-मार्ग: रोज व्यायाम/अनुशासन का पालन करें। गुरुजनों से मार्गदर्शन लें। लाल मसूर या मीठी चीजों का दान (मंगलवार) या किसी सामाजिक कार्य के लिए सेवा करना आपके भाग्य को बल देता है।
5. सिंह
सिंह राशि/लग्न के लोग स्वाभाविक रूप से आत्मविश्वासी, शाही और नेतृत्व करने वाले होते हैं। आपके जीवन में भाग्य और करियर को बल देने वाला सबसे महत्वपूर्ण ग्रह मंगल है।
भाग्य-चालक: मंगल आपके लिए एक योगकारक ग्रह है क्योंकि वह 4वें (सुख, माता, वाहन, घर) और 9वें (भाग्य, धर्म, पिता) दोनों भावों का स्वामी है। यह ग्रह आपके जीवन में सुख-सुविधाओं और भाग्य का सीधा नियंत्रण करता है। साथ में 5वां स्वामी गुरु (ज्ञान/संताल) और 10वां स्वामी शुक्र (करियर/कला) भी सहायक हैं।
कब तेज असर? मंगल, गुरु, या शुक्र की दशा-अंतरदशा के दौरान बड़े और अचानक भाग्य-परिवर्तन देखने को मिलते हैं। मंगल का 9वें भाव से संबंध आपको भाग्यशाली बनाता है, जबकि 4वें भाव से संबंध आपको भौतिक सुख और स्थिरता देता है।
कमजोरी/सुधार: आपका लग्न स्वामी सूर्य है, जो कई बार अहंकार और अत्यधिक आत्मविश्वास पैदा करता है। आपको अपनी टीम या अधीनस्थों को साथ लेकर चलने की कला सीखनी होगी और केवल अपनी राय को ही सर्वश्रेष्ठ मानने से बचना होगा।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ घृणि सूर्याय नमः" (रोज सुबह) और मंगल मंत्र का जाप करें। कर्म-मार्ग: अनुशासन, टीम के सदस्यों का सम्मान करना। सूर्य को अर्घ्य दें (तांबा/गुड़ का दान करें) और अपनी नेतृत्व क्षमता का उपयोग समाज सेवा के लिए करें।
6. कन्या
कन्या राशि/लग्न के लोग तार्किक, विश्लेषणात्मक, और हर काम में पूर्णता चाहने वाले होते हैं। आपके भाग्य और धन का स्वामी शुक्र है।
भाग्य-चालक: आपके लिए 9वां स्वामी शुक्र (भाग्य/धन), 10वां स्वामी बुध (करियर/योग्यता), और 5वां स्वामी शनि (ज्ञान/स्थायित्व) हैं। शुक्र और बुध का समन्वय आपको बुद्धि और भाग्य को दिशा देता है, जिससे आप व्यापार, कला या लेखन में सफल होते हैं।
कब तेज असर? शुक्र, बुध, या शनि की दशा-अंतरदशा में भाग्य में तेजी आती है। शुक्र का बल आपको सहज धन लाभ और सामाजिक आकर्षण देता है। बुध की मजबूती (कन्या में उच्च) आपकी तार्किक क्षमता को चरम पर ले जाती है।
कमजोरी/सुधार: लग्न स्वामी बुध होने के कारण आप अत्यधिक विचार और छोटी-छोटी बातों में अत्यधिक आलोचना करने लगते हैं। आपको विश्लेषण कम करके, अपने लक्ष्यों को पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" (शुक्र हेतु मंत्र), "ॐ बुधाय नमः"। कर्म-मार्ग: साफ नियमितता बनाए रखें। अपनी कुशलता (योग्यता) को लगातार उन्नत करते रहें, और विनम्रता बनाए रखें।
7. तुला
तुला राशि/लग्न के लोग संतुलित, न्यायप्रिय और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने वाले होते हैं। आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग्य-चालक शनि है।
भाग्य-चालक: शनि आपके लिए योगकारक ग्रह है क्योंकि वह 4वें (सुख) और 5वें (ज्ञान/लक्ष्मी) दोनों भावों का स्वामी है। यह ग्रह आपको ज्ञान, संतान सुख, और सभी प्रकार के भौतिक सुख प्रदान करता है। साथ में 9वां स्वामी बुध (भाग्य/संचार) और 10वां स्वामी चंद्र (करियर/लोकप्रियता) भी सहायक हैं।
कब तेज असर? शनि, बुध, या चंद्र की दशा-अंतरदशा में भाग्य तेजी से चमकता है। शनि आपकी लग्न राशि (तुला) में उच्च का होता है, इसलिए शनि का बलवान होना आपको स्थिर उन्नति और जन-समर्थन देता है।
कमजोरी/सुधार: तुला का स्वामी शुक्र है, जो अकसर आपको भावुक निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है या आपको दूसरों को खुश करने में ज्यादा ऊर्जा लगाने के लिए मजबूर करता है। आपको अपने निर्णयों में तर्क और आत्म-संतुलन को प्राथमिकता देनी चाहिए।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ शं शनैश्चराय नमः" (शनिवार) और "ॐ बुं बुधाय नमः" का जाप करें। कर्म-मार्ग: समयपालन पर विशेष ध्यान दें, अपनी वाणी में सौम्यता बनाए रखें, और लेखन/डिजाइन (यदि रुचि हो) के कौशल को निखारें।
8. वृश्चिक
वृश्चिक राशि/लग्न के लोग तीव्र, गहन, रहस्यवादी और परिवर्तनकारी स्वभाव के होते हैं। आपका भाग्य 9वें स्वामी चंद्रमा और 10वें स्वामी सूर्य की जोड़ी से निर्धारित होता है।
भाग्य-चालक: आपका 5वां स्वामी गुरु (ज्ञान), 9वां स्वामी चंद्र (भाग्य/मानसिक बल), और 10वां स्वामी सूर्य (करियर/सत्ता) हैं। चंद्र और सूर्य (माता-पिता) मिलकर आपके जीवन की दिशा तय करते हैं। गुरु का बल आपको सही मार्गदर्शन और ज्ञान देता है।
कब तेज असर? गुरु, चंद्र, या सूर्य की दशा-अंतरदशा में बड़े मोड़ आते हैं। चंद्र (मन) और सूर्य (आत्मा) जब एक-दूसरे को बल देते हैं, तो व्यक्ति अपनी तीव्रता को लक्ष्य पर केंद्रित करके बड़ी सफलता पाता है।
कमजोरी/सुधार: लग्न स्वामी मंगल (जल तत्व में) होने के कारण आपमें भाव-तीव्रता और बदला लेने की भावना अधिक हो सकती है। आपको अपनी ऊर्जा को गुप्त शोध, गहराई या रचनात्मक लक्ष्यों पर केंद्रित करना चाहिए। मन की स्थिरता जरूरी है।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ नमः शिवाय" (मन स्थिरता के लिए), और "ॐ गुं गुरवे नमः" (गुरुवार) का जाप करें। कर्म-मार्ग: जलदान या सेवा, अपने विचारों को स्पष्ट करने के लिए नियमित लेखन करें। नियमबद्ध कार्यशैली अपनाएं।
9. धनु
धनु राशि/लग्न के लोग आशावादी, ज्ञानी, धर्मपरायण और विस्तारवादी स्वभाव के होते हैं। आपके करियर में सबसे बड़ा 'उछाल' सूर्य और बुध की जोड़ी देती है।
भाग्य-चालक: आपका 5वां स्वामी मंगल (ज्ञान/साहस), 9वां स्वामी सूर्य (भाग्य/सत्ता), और 10वां स्वामी बुध (कर्म/व्यापार) हैं। गुरु ( लग्न स्वामी) पृष्ठभूमि देता है, जबकि सूर्य और बुध की जोड़ी से राजयोग बनता है, जो करियर में उच्च पद दिलाता है।
कब तेज असर? सूर्य, बुध, या मंगल की दशा-अंतरदशा में भाग्य तेजी से साथ देता है। सूर्य का 9वें भाव से संबंध आपको सरकारी या उच्च पद पर बैठाता है। गुरु का गोचर आपको नए अवसर देता है।
कमजोरी/सुधार: गुरु प्रधान होने के कारण आप कई बार दिशाहीन हो सकते हैं, एक साथ कई काम शुरू करके उन्हें बीच में छोड़ सकते हैं। आपको अपनी ऊर्जा को एक साफ लक्ष्य पर केंद्रित करना चाहिए और बिखराव को घटाना चाहिए।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ गुं गुरवे नमः" (गुरुवार), और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। कर्म-मार्ग: पीला दान (हल्दी, वैसन) करें, नियमित अध्ययन करें, और अपनी हर यात्रा (सफर/कार्य) को एक योजना के तहत पूरा करें।
10. मकर
मकर राशि/लग्न के लोग कर्मठ, व्यावहारिक, अनुशासित और महत्वाकांक्षी होते हैं। आपके भाग्य का सबसे बड़ा संचालक और जीवन-परिवर्तक शुक्र है।
भाग्य-चालक: शुक्र आपके लिए योगकारक ग्रह है क्योंकि वह 5वें (ज्ञान/संतान) और 10वें (कर्म/करियर) दोनों भावों का स्वामी है। यह ग्रह आपको ज्ञान, रचनात्मकता और करियर में दीर्घकालिक सफलता देता है। साथ में 9वें स्वामी बुध (भाग्य/संचार) सहयोगी होता है।
कब तेज असर? शुक्र, बुध, या शनि की दशा-अंतरदशा में सफलता की सीढ़ियां तेजी से चढ़ते हैं। शुक्र का 10वें भाव से संबंध आपको कला, मीडिया, या सौंदर्य से संबंधित क्षेत्रों में बड़े अवसर दिलाता है।
कमजोरी/सुधार: लग्न स्वामी शनि होने के कारण आपमें अत्यधिक निराशा या असुरक्षा की भावना आ सकती है। आपको समझना होगा कि आपकी सफलता की नींव धैर्य, गुणवत्ता और नैतिकता पर टिकी है।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ शं शनैश्चराय नमः" और "ॐ श्रीं श्रीये नमः" (शुक्र) का जाप करें। कर्म-मार्ग: दीर्घकालिक योजना बनाएं। अपनी नैतिकता (ईमानदारी) को कभी न छोड़ें। अनुभवी लोगों से मार्गदर्शन लें।
11. कुम्भ
कुम्भ राशि/लग्न के लोग सामाजिक, नवीनता पसंद, परोपकारी और दूरदर्शी होते हैं। आपके भाग्य का सबसे बड़ा संचालक और जीवन-परिवर्तक शुक्र है।
भाग्य-चालक: शुक्र आपके लिए योगकारक ग्रह है क्योंकि वह 4वें (सुख) और 9वें (भाग्य/धर्म) दोनों भावों का स्वामी है। यह ग्रह आपके जीवन में सुख-समृद्धि और भाग्य का सीधा नियंत्रण करता है। साथ में 5वां स्वामी बुध (ज्ञान/लाभ) और 10वां स्वामी मंगल (करियर/क्रिया) सहायक हैं।
कब तेज असर? शुक्र, बुध, या मंगल की दशा-अंतरदशा में बड़े अवसर मिलते हैं। मंगल का 10वें भाव से जुड़ाव आपको तकनीकी, इंजीनियरिंग या सामाजिक कार्यों में तेज परिणाम देता है। शुक्र का बल आपके सामाजिक नेटवर्क को बढ़ाता है।
कमजोरी/सुधार: शनि प्रधान होने के कारण आपमें अक्सर विचार को कार्य में बदलने में विलंब होता है। आप सोचते ज्यादा हैं, करते कम हैं। आपको अपनी कल्पनाशीलता को वास्तविक कार्य में बदलने पर जोर देना चाहिए।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ श्रीं श्रीये नमः" (शुक्र) और "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" (मंगल) का जाप करें। कर्म-मार्ग: सामाजिक सेवा में सक्रिय रहें। नई तकनीक/नवाचार सीखते रहें।
12. मीन
मीन राशि/लग्न के लोग दयालु, कल्पनाशील, आध्यात्मिक और भावुक होते हैं। आपके करियर और भाग्य को बल देने वाला सबसे महत्वपूर्ण ग्रह मंगल है।
भाग्य-चालक: आपका 5वां स्वामी चंद्र (ज्ञान/भावनात्मक बल), 9वां स्वामी मंगल (भाग्य/साहस), और 10वां स्वामी गुरु (कर्म/पैशा) हैं। गुरु ( लग्न स्वामी) के साथ मंगल (9वें/10वें का स्वामी) की जोड़ी मिलकर धर्म-कर्माधिपति राजयोग बनाती है, जो आपको लक्ष्य तक पहुंचाता है।
कब तेज असर? गुरु, मंगल, या चंद्र की दशा-अंतरदशा में भाग्य में तेजी आती है। मंगल का 9वें भाव से संबंध आपको साहसी बनाता है और गुरु के बल से आप ज्ञान, शिक्षा या धार्मिक/सामाजिक कार्यों में उच्च पद पाते हैं।
कमजोरी/सुधार: गुरु और चंद्र प्रधान होने के कारण आप अत्यधिक भावुकता और वास्तविकता से दूर रहने की प्रवृत्ति रखते हैं। आपको अपनी कल्पना को रचनात्मकता में बदलना चाहिए और उसे अनुशासन से साधना चाहिए।
सरल उपाय + कर्म-मार्ग: "ॐ नमो नारायणाय" (गुरु), और "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" (मंगल) का जाप करें। कर्म-मार्ग: ध्यान करें, अपनी रचनात्मकता को बढ़ाएं। पीला दान करें और अपनी योग्यताओं को बेहतर करते रहें।
व्यावहारिक उपाय—कर्म ही सबसे बड़ा समाधान
मंत्र और दान के साथ-साथ, व्यवहारिक कर्म ही आपके भाग्य को मज़बूत करते हैं। हर ग्रह की चुनौती को अपने व्यवहार से साधें:
| ग्रह | मंत्र (जाप) | दान/सेवा | कर्म-अनुशासन (सबसे महत्वपूर्ण) |
|---|---|---|---|
| शनि | "ॐ शं शनैश्चराय नमः" | तिल, तेल, लोहा, श्रम-सेवा। | समय-पालन, अनुशासन, झूठ से दूरी, मेहनती लोगों का सम्मान। |
| गुरु | "ॐ गुं गुरवे नमः" | पीला दान, धार्मिक साहित्य, विद्या-सेवा। | ज्ञान-अर्जन, सत्य बोलना, वरिष्ठों और गुरुओं का सम्मान। |
| मंगल | "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" | लाल मसूर, गुड़, भूमि से जुड़े काम। | ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग, क्रोध पर नियंत्रण, नियमित व्यायाम। |
| बुध | "ॐ बुं बुधाय नमः" | हरा चारा, पुस्तकें, कलम। | स्पष्ट वाणी, नियमित अध्ययन/लेखन, नियमों का पालन। |
| शुक्र | "ॐ श्रीं श्रीये नमः" | दही, चावल, सौंदर्य उत्पाद। | सौम्यता, संतुलन, साफ-सफाई रखना, नैतिक व्यवहार। |
आपकी व्यक्तिगत कुंडली में कौन सा ग्रह कब शुभ फल देगा, यह जानने के लिए आपको अपनी महादशा, अंतरदशा और गोचर को समझना होगा। इस लेख में बताए गए सिद्धांतों का उपयोग करके आप अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर, अपने भाग्य-संचालक ग्रहों से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
अंतिम नोट
यह एक सामान्य ज्योतिषीय मार्गदर्शन है; व्यक्तिगत कुंडली का गहन विश्लेषण ही सबसे सटीक और व्यक्तिगत निष्कर्ष देता है।
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