सूर्य अर्घ्य: स्वास्थ्य और समृद्धि का सूत्र
ज्योतिष शास्त्र में पंच देवों में सूर्य देव को भी परम देव माना गया है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। यह मनुष्य के जीवन में मान-सम्मान, पिता-पुत्र के बेहतर संबंध तथा सफलता का कारक माना गया है।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य प्रत्येक माह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इस तरह से बारह राशियों में सूर्य एक वर्ष में अपना चक्र पूर्ण करते हैं।
सूर्य के प्रकाश से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य अर्पित करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ तो प्राप्त होते हैं, साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं।
नारायण की कृपा पाने और कुंडली में सूर्य की अनुकूलता बनाएं रखने के लिए प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इससे आपको समाज में मान-सम्मान और प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होता है। प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करने से सारे बिगड़े काम बनते हैं तथा व्यक्ति को आर्थिक तथा शारीरिक लाभ भी प्राप्त होता है।
सूर्य को जल अर्घ्य अर्पित करने के लाभ
प्रातःकाल सूर्य को जल अर्पित करने से, व्यक्ति का मन एकाग्रचित्त रहता है। मन के एकाग्रचित्त रहने से कुछ भी सीखने की क्षमता बढ़ती है।
प्रातःकाल के समय जागने से मन शांत रहता है जिसके कारण व्यक्ति जटिल से जटिल समस्या का समाधान भी चुटकियों में कर देते हैं।
सूर्य को जल चढ़ाने के वैज्ञानिक फायदे भी है। वैज्ञानिकों के अनुसार सुबह के समय जल अर्पित करने से सुबह-सुबह शरीर को विटामिन डी भी पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होता है।
व्यक्ति का शरीर पंच तत्वों से बना होता है। उन पांच तत्त्वों में से एक तत्व अग्नि भी है। सूर्य को अग्नि का कारक माना गया है। इसलिए सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से उसकी किरणें पूरे शरीर पर पड़ती है। जिससे व्यक्ति का हृदय, त्वचा, आंखें, लीवर और मस्तिष्क जैसे सभी अंग सक्रिय हो जाते हैं। सूर्य को जल अर्पित करने से मन में शुभ विचार आते हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्यदेव की आराधना का अक्षय फल प्राप्त होता है। सच्चे मन से की गयी साधना से प्रसन्न होकर सूर्य देव सुख-समृद्धि एवं अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
सूर्य को जल अर्पित करते हुए निम्न बातों का ध्यान रखें
कभी भी सूर्य को केवल जल अर्पित न करें। हम में से अधिकांश लोग पूजा करने के बाद केवल लोटे में जल लेकर सूर्य देव को चढ़ा देते हैं, लेकिन नियम के अनुसार देखें तो ऐसा नहीं करना चाहिए। एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली, चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।
जब भी सूर्य देव को जल अर्पित करें इस बात का ध्यान रखें कि जल आपके पैर पर नहीं गिरना चाहिए। जल चढ़ाते समय अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर जल अर्पित करें ताकि सूर्य की किरण आपके शरीर पर पड़े और जल गिरते समय आपके पैर को न छुए । ऐसा माना जाता है कि जल अर्पित करते समय यदि जल आपके पैर को छूता है तो, इससे सूर्य देव का आशीर्वाद आपको प्राप्त नहीं होगा।
उगते सूर्य को जल चढ़ाने का सबसे उत्तम समय होता है जब सूर्य उदय होता है। उगते सूर्य को जल अर्पित करना सबसे अधिक शुभ होता है। सूर्य को प्रतिदिन जल अर्पित करना चाहिए, इससे आपके जीवन की सभी समस्या दूर होती है तथा आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। यदि आप से प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करना संभव न भी हो तो, कम से कम रविवार के दिन जल अवश्य अर्पित करें।
ये तो हम सब जानते है कि सूर्य का उदय पूर्व दिशा से होता है, इसलिए सूर्य को जल देते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर ही रखें। कई बार बादल आने के कारण आसमान साफ नहीं रहता होता है, जिससे सूर्य दिखाई नहीं देता है किन्तु ऐसी स्थिति में भी आप पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्पित करें।
अर्घ्य देने की विधि
सूर्य देव को जब भी जल अर्पित करें, उन्हें प्रात: काल 8 बजे से पहले ही अर्घ्य दे देना चाहिए। नियमित क्रियाओं से मुक्त होकर और स्नान करने के बाद ही जल अर्पित करें।
सूर्य को जल अर्पित करने के लिए शीशे, प्लास्टिक, चांदी आदि किसी भी तरह के धातु के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सूर्य को जल देते समय केवल तांबे के पात्र का ही प्रयोग करना ही उचित होता है।
सूर्य को जल चढ़ाने से अन्य ग्रह भी मजबूत होते हैं। कुछ लोग सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में गुड़ या चावल भी मिला लेते हैं। जबकि ऐसा करना लाभकारी नहीं होता है, उल्टा इससे प्रभाव कम होने लगता है।
सूर्य को जल देते समय आप उस जल में पुष्प और अक्षत मिला सकते हैं। साथ ही साथ अगर आप सूर्य मंत्र का जाप भी करते रहेंगे तो इससे आपको विशेष लाभ प्राप्त होगा।
लाल वस्त्र पहनकर सूर्य को जल अर्पित करना अधिक प्रभावी माना गया है, जल अर्पित करने के बाद धूप-दीप से सूर्य देव की पूजा भी करनी चाहिए।
निष्कर्ष #
इस प्रकार सूर्य को अर्घ्य देने के अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। सूर्य को जल अर्पित करने से शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूपों से लाभ प्राप्त होगा।
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