श्रीयंत्र: माँ लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे प्रभावी उपाय

श्रीयंत्र एक पवित्र और शक्तिशाली यंत्र है जो माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद को आकर्षित करता है। यह लेख श्रीयंत्र की स्थापना विधि, इसके लाभ और इसके द्वारा प्राप्त होने वाली समृद्धि पर आधारित है। यदि आप अपने जीवन में समृद्धि और खुशहाली चाहते हैं, तो श्रीयंत्र की पूजा आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है।
श्रीयंत्र: माँ लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे प्रभावी उपाय
श्रीयंत्र को दुनिया सबसे शक्तिशाली यंत्र है। धन की देवी माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रीयंत्र की पूजा को अति शुभ माना जाता है। श्रीयंत्र की पूजा करने से माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है इसलिए लोग अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना करके उसकी पूजा-आराधना करते है।
जिस स्थान पर भी पूरे विधि-विधान से श्रीयंत्र की पूजा की जाती है वहां सदैव सुख-संपत्ति, सौभाग्य और ऐश्वर्य बना रहता है। श्रीयंत्र की स्थापना में केवल इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि स्थापना से संबंधित सभी नियमों का बहुत अच्छे से और सावधानी से पालन करने की आवश्यकता है।
यदि इसमें कोई भी चूक होती है तो पूजा करने के बाद भी इसका उचित फल प्राप्त नहीं होता है। श्रीयंत्र की स्थापना से आपके चारों ओर सकारात्मकता का संचार होता है।
श्रीयंत्र की उत्पत्ति की कथा
एक कथा के अनुसार एक बार माँ लक्ष्मी पृथ्वी से अप्रसन्न होकर वैकुंठ चली गयी जिसके कारण पृथ्वी पर दरिद्रता फैल गयी। तब वशिष्ठ मुनि ने निश्चित किया कि वो माँ लक्ष्मी को प्रसन्न कर के वापस लेकर आयेंगे। माँ लक्ष्मी इतनी अप्रसन्न थी कि किसी भी स्थिति में धरती पर वापस आने को तैयार नहीं थी।
तब वशिष्ट मुनि ने भगवान नारायण की आराधना की और उनको प्रसन्न किया। नारायण के प्रसन्न होने पर वशिष्ठ मुनि ने कहा कि माता लक्ष्मी के नहीं होने से धरती पर दुःख के बादल छा गए है, चारों ओर दरिद्रता छा रही है। उन्होंने कहा कि हे! नारायण अब एक आप ही है जो माता लक्ष्मी को माना कर पृथ्वी पर वापस ला सकते हैं। नारायण वशिष्ठ मुनि को साथ लेकर माता लक्ष्मी के पास गये किन्तु माँ लक्ष्मी नहीं मानी उन्होंने कहा कि वो वापस नहीं जायेंगी।
इसका कारण माता लक्ष्मी ने बताया कि पृथ्वी पर शुद्धि नहीं है, वहां पवित्रता की कमी है और ऐसे स्थान पर मेरा वास नहीं हो सकता और इसलिए मैं वापस नहीं जाउंगी। हताश होकर वशिष्ठ मुनि वापस धरती पर लौटे और सभी को माता लक्ष्मी के दुखी होने का कारण बताया। सभी के विचार-विमर्श के बाद सभी देवता और मनुष्य मिलकर देवगुरु बृहस्पति के पास गये और सारी जानकारी दी।
तब बृहस्पति ने श्रीयंत्र बनाया और उसकी शुभ-लाभ की पूजा की और श्रीयंत्र की संपूर्ण साधना का आरंभ किया। पूजा के समाप्त होते ही माता लक्ष्मी धरती पर वापस आयी और सभी से कहा कि श्रीयंत्र मेरा आधार स्थान है और इसलिए जब श्रीयंत्र की पूजा की गयी तो मैं वापस लौट कर पृथ्वी पर आ गयी।
तभी माता लक्ष्मी ने स्वयं कहा कि जहाँ-जहाँ श्रीयंत्र का निवास होता है, उसकी पूजा-आराधना होती है उस स्थान पर मैं स्वयं जाकर निवास करती हूँ। तभी से ये मान्यता है कि किसी भी अन्य साधना या पूजा से लक्ष्मी जी प्रसन्न हो या न हो किन्तु श्रीयंत्र की पूजा से उसके स्थापना से स्वयं लक्ष्मी जी का आगमन होता ही है।
श्रीयंत्र के प्रकार
श्रीयंत्र दो प्रमुख प्रकार का होता है:
1. उर्ध्वमुखी श्रीयंत्र – यह यंत्र ऊपर की ओर होता है और इसे अधिक महत्व दिया जाता है।
2. अधोमुखी श्रीयंत्र – यह यंत्र नीचे की ओर होता है, और इसके लाभ उर्ध्वमुखी के मुकाबले कम होते हैं।
श्रीयंत्र की स्थापना की विधि
श्रीयंत्र को बहुत ही पवित्र माना जाता है इसलिए इसकी स्थापना करने से पहले आपका मन और शरीर दोनों साफ़ होना चाहिए। श्रीयंत्र को स्थापित करने की विधि निम्न है:
1. सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
2. उसके बाद श्रीयंत्र को गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराकर शुद्ध कर लें। इसके बाद घर या मंदिर के ईशान कोण में लाल कपड़ा बिछाकर श्रीयंत्र की स्थापना करें।
3. श्रीयंत्र को स्थापित करते समय "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नम:" या "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं" मंत्र का जाप करते रहें।
4. इस यंत्र को स्थापित करते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि यंत्र की स्थापना के समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो।
5. यदि आप इस श्रीयंत्र की स्थापना आर्थिक समस्या दूर करने के लिए करते है तो आपको स्फटिक पिरामिड वाले श्रीयंत्र की स्थापना करनी चाहिए। इस श्रीयंत्र को गुलाबी कपड़े में बांधकर किसी पूजा की चौकी पर स्थापित करें।
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श्रीयंत्र के लाभ
श्रीयंत्र की स्थापना से आपके जीवन में सकारात्मकता संचार होता है। यदि आप सच्चे मन से श्रीयंत्र की स्थापना करते है तो आपके घर में साक्षात माँ लक्ष्मी का निवास होगा और जहाँ माता लक्ष्मी स्वयं निवास करती हो वहां धन-समृद्धि को आने से कौन रोक सकता है।
व्यापार में वृद्धि होती है और आपके रोजगार के क्षेत्र में भी आपको सफलता प्राप्त होगी।
इस यंत्र की स्थापना का असर आपके वैवाहिक जीवन पर भी सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है। आपका वैवाहिक जीवन सुखमय होगा।
आपके घर में यदि किसी भी प्रकार का कोई वास्तु दोष है तो इस यंत्र की स्थापना से आपके सभी वास्तुदोष भी दूर होंगे।
बच्चें जहाँ अपनी पढ़ाई करते है, उनके पढ़ाई करने के स्थान पर यदि आप इस यंत्र की स्थापना करते है तो उनमें एकाग्रता आती है तथा उनका ध्यान पढ़ाई में अच्छे से लगने लगता है।
यदि आप तांबे के श्रीयंत्र की स्थापना करते है, उसे अपने पास रखते है तो आपकी सभी मनोकामना पूरी होती है।
दीपावली या किसी भी शुभ अवसर या त्यौहार के दिन यदि श्रीयंत्र की स्थापना करते है तो आपको आने वाले एक साल तक किसी भी प्रकार से आर्थिक समस्या नहीं होगी।
यदि आप किसी को उपहार में श्रीयंत्र देना चाहते है तो चाँदी का श्रीयंत्र उपहार में देना सबसे शुभ होता है।
ध्यान रखने योग्य बातें
यदि आप श्रीयंत्र की स्थापना करते है तो आपको हर शाम उसके आगे दिया जलाना होगा, श्रीयंत्र स्थापना मंत्र का जाप करना होगा।
इसमे सबसे जरुरी बात ये है कि आप जहाँ भी श्रीयंत्र की स्थापना करते है उसके आसपास पूरी सफाई रखें। माता लक्ष्मी को साफ़-सफाई में रहना पसंद है और श्रीयंत्र में स्वयं माता लक्ष्मी का निवास होता है इसलिए यदि मन और घर दोनों साफ़ होगा तभी माता प्रसन्न होंगी और उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा।
यदि आप अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना करने जा रहें तो आपको उस यंत्र की भली-भांति जांच कर लेनी चाहिए, क्योंकि गलत या नकली श्रीयंत्र की पूजा करने का कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा।
ऐसा भी हो सकता है कि नकली श्रीयंत्र के प्रभाव भी नकारात्मक ही हो।
निष्कर्ष
श्रीयंत्र की पूजा और स्थापना से व्यक्ति को दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो उसके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। यह यंत्र न केवल वित्तीय समृद्धि लाता है बल्कि पारिवारिक जीवन को भी खुशहाल बनाता है। सही विधि से इसकी पूजा और नियमित ध्यान से श्रीयंत्र के अद्भुत लाभ मिल सकते हैं।
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