नवमांश कुंडली: आपकी राशि के 9वें भाव का अंश D9

हम सभी जानते हैं कि किसी व्यक्ति के जन्म संबंधित पूर्ण जानकारी एकत्रित कर के जन्म कुंडली तैयार की जाती है। आपकी कुंडली, जन्म के समय आकाश में ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है। जन्म कुंडली को बर्थ चार्ट या लग्न सारणी भी कहा जाता है। जन्म कुंडली का प्रत्येक भाव या प्रत्येक राशि की संख्या 12 होती है जो 30 डिग्री का कोण बनाती है।
व्यक्ति की जन्म कुंडली उसके जीवन का सार प्रस्तुत करती है, और यह काफी हद तक उस व्यक्ति के शारीरिक विशेषता और स्वभाव पर केंद्रित है। आपकी कुंडली इस बात को भी दर्शाता है कि आप कैसे दिखते हैं- आपका स्वरुप क्या है, परिवार कैसा है, आपकी धन-संपत्ति, नौकरी, करियर आदि।
प्रत्येक राशि को 12 भागों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक भाग को वर्ग कहा जाता है। प्रत्येक विभाजन से ही जन्म कुंडली बनता है, जिसकी मदद से ही किसी व्यक्ति के विषय में अधिक से अधिक जान सकते हैं। उदाहरण के लिए, जब एक राशि को दो भागों में विभाजित किया जाता है तभी हमें होरा सारणी प्राप्त होता है, जो धन के क्षेत्र को दर्शाता है।
इसी तरह से जब किसी राशि को 3 भागों में बांटा जाता है तो उसे द्रेष्काण कुंडली कहा जाता है, अर्थात D-3 जिसका उपयोग भाई-बहनों के साथ संबंधों का विस्तार से अध्ययन करने के लिए किया जाता है। यदि राशि को 9 भागों में बांटा जाए तो उससे नवमांश या D-9 चार्ट प्राप्त होता है। इस तरह से प्रत्येक राशि को कई खंडों में विभाजित किया जा सकता है। जिससे विभिन्न सारणी तैयार की जाती है।
सभी भागों में 16 प्रकार के विभाजन अधिक सामान्य रूप से उपयोग किये जाते हैं, क्योंकि वे जीवन के प्रमुख और महत्वपूर्ण क्षेत्र जैसे धन, भाग्य, व्यवसाय, शिक्षा, आदि को दर्शाता है। इन 16 भागों को सामूहिक रूप से षोडशवर्ग कहा जाता है- जिसका अर्थ है सोलह मंडल। कुंडली का प्रत्येक भाग उस व्यक्ति के जीवन के एक स्पष्ट पहलू का प्रतिनिधित्व करता है।
नवमांश कुंडली का महत्व:
जन्म कुंडली का नवम भाव धर्म का प्रतिनिधत्व करता है। D-9 या नवमांश कुंडली D-1 का नवां भाव है, इस भाव का विस्तृत अध्ययन जातक के कर्तव्य या धर्म को दर्शाता है। यह व्यक्ति के जीवन के उद्देश्य को भी दर्शाता है। जैमिनी के सिद्धांतों के अनुसार नवमांश जातक के आध्यात्मिक स्वभाव को भी दर्शाता है। इसलिए नवमांश को स्वांश भी कहा जाता है। नवम भाव का संबंध भाग्य से भी होता है, यही कारण है कि नवमांश कुंडली को भाग्य सारणी भी कहा जाता है। D-9 भाव ये तय करता है कि आपकी ताकत सही दिशा में लगेगी या गलत दिशा में लगेगी। किसी भी व्यक्ति के जीवन के परिणाम का संकेत नवमांश के माध्यम से ही प्राप्त होता है।
नवमांश कुंडली और वैवाहिक जीवन का अंतःसंबंध:
अब यहाँ सवाल ये उठता है कि जब नवमांश किसी व्यक्ति के पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर इस जन्म में परिणाम प्रदान करता है तो किसी भी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में नवमांश कुंडली का विश्लेषण इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
हम जानते है कि किसी भी भाव का परिणाम उस विशेष भाव के 11वें भाव के आधार पर प्राप्त होता है। अतः नौवाँ भाव की क्षमता उससे 11वें अर्थात विवाह के भाव(7वां भाव) के आधार पर आंका जाता है। अतः ऐसा कहा जा सकता है कि भाव का परिणाम जीवनसाथी और विवाह के माध्यम से प्रकट होता है।
निष्कर्ष #
अतः यदि कोई व्यक्ति वैवाहिक जीवन के आतंरिक संबंधों और साझेदारी के व्यक्तिगत समीकरण को समझना चाहता है तो उसे नवमांश भाव या नवमांश कुंडली का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता होगी।
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