Nag Panchami 2024: शुभ मुहूर्त व पूजन विधि के साथ जानें कालसर्प दोष शांति हेतु इसकी महत्ता

नागपंचमी का त्योहार प्रत्येक श्रावण महीने के शुल्क पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष नागपंचमी 9 अगस्त 2024 को मनाया जायेगा। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
शिवभक्तों के लिए नागपंचमी का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नागपंचमी का दिन कालसर्प दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए बेहद शुभ है। नागपंचमी के दिन महाकाल की पूजा करने के साथ ही व्रत रखने की भी मान्यता है।
शुभ मुहूर्त तथा तिथि
इस वर्ष नागपंचमी 9 अगस्त 2024, शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा।
इस दिन नागदेवता तथा महादेव की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। पूजा करने का शुभ समय 06 बजकर 01 मिनट प्रातःकाल से 8 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
नागपंचमी का महत्व
महाभारत, नारद पुराण, स्कंद पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां हैं। भारत का प्राचीन ग्रंथ महाभारत में, राजा जनमेजय नागों की पूरी प्रजाति को नष्ट करने के लिए एक यज्ञ किया करते थे। ये यज्ञ राजा अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए कर रहे थे, जो तक्षक सांप के काटने से मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
नागों की रक्षा के लिए प्रसिद्ध ऋषि आस्तिक जनमजेय को यज्ञ करने से रोकने और नागों के बलिदान की रक्षा में निकल पड़े। जिस दिन नागों की इस की बलि वाले यज्ञ को रोकने में सफलता प्राप्त हुई, वो शुक्ल पक्ष की पंचमी का दिन था। उसी दिन को आज संपूर्ण भारत में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
इसी तरह की एक और कथा भगवान कृष्ण तथा कालिया नाग से जुड़ी है। जिसमें कृष्ण यमुना नदी पर कालिया से लड़ते हैं और उस लड़ाई के अंत में जीत भगवान कृष्ण की होती है। भगवान कृष्ण कालिया नाग को इस शर्त पर माफ कर देते हैं कि वो अब कभी मनुष्यों को दोबारा परेशान नहीं करेगा।
नागपंचमी के दिन निम्न कार्य करने चाहिए
कालसर्प दोष को शांत करने के आसान और प्रभावी उपाय हैं जिन्हें करके आप इस दोष के प्रभाव से बच सकते हैं। कुछ प्रमुख उपाय:
- नागपंचमी के दिन व्रत रखने से जातक को कालसर्प दोष से प्रभाव प्राप्त हो सकती है।
- इसके अलावा इस दिन नाग देवताओं की पूजा के बाद नागपंचमी के मंत्रों का जाप करना भी शुभ सिद्ध होगा।
- यदि जातक की कुंडली में राहु और केतु की दशा चल रही है तो ऐसी स्थिति में उन्हें भी नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से जातक को राहु, केतु के दोषों से भी मुक्ति प्राप्त होगी।
- नागपंचमी के दिन भगवान शिव को पीतल के लोटे से जल अर्पित करें तथा बेलपत्र चढ़ाएं।
- नाग पंचमी के दिन नाग मूर्तियों की पूजा करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आप नागों को धूप, दीप, फूल, दूध, गंगाजल, चावल, सिंदूर, अक्षता, नीविद्यमान परमाणु और बेल पत्रों से पूज सकते हैं।
- यदि आपके द्वारा संभव हो तो आप सर्प यज्ञ भी कर सकते हैं, जिसमें साँप की प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित कर विधिवत रूप से यज्ञ किया जाता है।
- नाग मंदिरों की यात्रा करने से वहां पूजा और आरती करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- नाग पंचमी के दिन साँपों को दूध तथा लावा भी चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे नाग प्रसन्न होते हैं।
नाग पंचमी के दिन निम्न कार्यो को किसी भी परिस्थिति में न करें
1. नागों का वास मिट्टी के भीतर तथा जंगलों में होता है अतः इस दिन भूमि की खुदाई करना किसी भी परिस्थिति में बहुत अशुभ माना जाता है। इसके अलावा जंगलों को नहीं काटना चाहिए तथा घर के लिए साग जैसी चीजे नहीं तोड़नी चाहिए।
2. नाग पंचमी वाले दिन किसी भी प्रकार की नुकीली और धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। विशेष रूप से सूई-धागे का उपयोग न करें।
3. नाग पंचमी के दिन अपनी वाणी पर संयम रखें। किसी के लिए भी अपने मुख से कोई भी अपशब्द का उपयोग न करें।
नाग पंचमी की पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन आठ नाग देव अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख की उपासना की जाती है। नाग पंचमी से एक दिन पूर्व चतुर्थी के दिन पूरे दिन में एक बार भोजन ग्रहण करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करें।
पूजा करने के लिए नागों की प्रतिमा या मिटटी से बनी सर्प मूर्ति को एक साफ-शुद्ध लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें। उसके बाद हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), अक्षत तथा फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। कच्चा दूध, घी, चीनी को मिलाकर स्थापित नागों को भोग चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर नाग देवता की आरती करें। "नागपंचमी की कथा सुनें। अपनी क्षमता तथा सुविधा अनुसार किसी सपेरे को कुछ दान करें। उनको दूध का दान कर आप उन सपेरों से अनुरोध कर सकते हैं कि उनका दिया हुआ दूध नागों को अवश्य पिला दें।
सच्चे मन से अष्टनाग की पूजा करें इससे आपके सारे दुःख दूर हो जायेंगे।
नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष की पूजा करना होगा शुभ
कालसर्प दोष का सीधा संबंध नागों और साँपों से है। यदि आप कालसर्प दोष के विषय में नहीं जानते हैं तो हमारे एक ब्लॉग में कालसर्प दोष की विस्तृत जानकारी आपको प्राप्त हो जाएगी।
कुंडली में राहु और केतु 180 डिग्री पर रहते हैं और जब बाकी के सातों ग्रह राहु तथा केतु की के मध्य आ जाएँ, तो ऐसी स्थिति में कालसर्प योग बनता है; जिसे कालसर्प दोष भी कहा जाता है।
यह दोष विभिन्न प्रकार का दुःख, बाधाएँ तथा परेशानियों का कारण माना जाता है। कालसर्प दोष एक माध्यम से जिसकी सहायता से जातक को संकेत मिलता है कि उनके जीवन में कुछ चुनौतियां आ सकती हैं जिसका निदान अत्यंत आवश्यक है।
नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष पूजा का आयोजन करके लोग इस दोष के प्रभावों से बचने का प्रयास करते हैं। चूँकि नागपंचमी में नागों के साथ-साथ विशेष रूप से राहु और केतु की पूजा, मंत्र जाप तथा हवन किए जाते हैं। अतः यह पूजा आपके जीवन से नकारात्मक शक्तियों को शांति की दिशा में परिवर्तित करने में सहायक सिद्ध होगी।
कालसर्प दोष पूजा का मुख्य उद्देश्य जीवन से नकारात्मक प्रभावों को कम करना और जातक को सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन करना होता है। यह पूजा आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए भी किया जाता है और व्यक्ति को अधिक सकारात्मक जीवन जीने का साहस प्रदान करता है।
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