कृष्ण जन्माष्टमी 2024: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र
हिन्दू मान्यताओं के आधार पर साल में 4 ऐसी रात्रियाँ होती है जिसे महारात्रि कहा जाता है। ये हैं- शिव रात्रि, दीवाली रात्रि, होली रात्रि तथा जन्माष्टमी रात्रि। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला ये दिवस न केवल भारत में बल्कि संसार के कई देशों में धूम-धाम से मनाया जाता है।
भाद्रो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। तभी से इस दिन को पूरे संसार में धूम-धाम से मनाया जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, और भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से आनंद के साथ भगवान के नाम का व्रत रखने, उनकी पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं तथा संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूरी होती है।
शुभ मुहूर्त तथा तिथि
इस वर्ष जन्माष्टमी के दिन कई शुभ योग का निर्माण होने वाला है, अतः इस वर्ष का जन्माष्टमी अत्यंत शुभ माना जा रहा है। इसकी विस्तार से चर्चा हम आगे करेंगे। कृष्ण जन्माष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त 2024 को प्रातः 03:39 बजे से शुरू होकर 27 अगस्त 2024 को प्रातः 02:19 बजे तक रहेगा।
श्री कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त 2024 की प्रातः 12:06 बजे से प्रातः 12:51 बजे तक रहेगा। पूजा के लिए केवल 45 मिनट का ही समय रहेगा। आप जन्माष्टमी व्रत का पारण 27 अगस्त 2024 को दोपहर 03:38 के बाद कर सकते हैं।
जाने क्या है खास इस वर्ष की जन्माष्टमी में
26 अगस्त के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रोहिणी नक्षत्र तथा वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस मनाया जायेगा।
जन्माष्टमी का महत्व
कई जगहों पर जन्माष्टमी त्योहार को 'मोहरात्रि' के नाम से भी जाना जाता है। लोग जन्माष्टमी की रात को ईश्वर की दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए रात्रि में उनके नाम का जप और कीर्तन करते हैं। श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में ये उत्सव सभी लोग बड़े ही धूम-धाम से मानते हैं।
जन्माष्टमी के दिन तथा रात्रि का पूरा वातावरण कृष्णमय हो जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का विनाश होता है तथा व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का भी बहुत महत्व है। भगवान कृष्ण के जन्म अवसर पर एक विशेष आयोजन किया जाता है। ये एक प्रतियोगिता के तौर पर आयोजित किया जाता है। दही हांडी के इस प्रतियोगिता में एक निश्चित ऊँचाई पर एक हांडी या मटके में दही भर के लटका दिया जाता है।
दही का हांडी लटकाने के बाद लोग एक समूह बनाकर इसे फोड़ने की योजना बनाते हैं। जो इस हांडी को फोड़ता है उसे इनाम भी दिया जाता है। दही हांडी की ये प्रतियोगिता श्रीकृष्ण के नटखट स्वभाव को याद रखने के लिए भी किया जाता है।
पूजा विधि
अपने घर में पूजा के स्थान को साफ करें तथा गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को पवित्र करें। श्रीकृष्ण की स्थापना आप झूले पर भी कर सकते हैं। झूले पर या पूजा के स्थान पर जहाँ भी आपके द्वारा संभव हो, उस स्थान पर भगवान की प्रतिमा स्थापित करें। फिर उस प्रतिमा को सुंदर नए कपड़े पहना कर, सुन्दर तरीके से उस प्रतिमा को सजाएं। मूर्ति की साज-सज्जा के बाद उनके समक्ष धूप, दीप, फूल, भोग आदि का चढ़ावा चढ़ाएं "दिन में भगवान की पूजा करने के बाद, आधी रात्रि में बाल गोपाल की पूजा करें, उनका अभिषेक करें, उन्हें पुनः नए वस्त्र पहनाकर उनका शृंगार करें। उसके बाद श्रीकृष्ण की आरती करें। आरती के साथ-साथ मंत्रों का जाप करना भी शुभ सिद्ध होगा।
पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद को लोगों के बीच वितरित करें। जन्माष्टमी के दिन बहुत से लोग व्रत रखते हैं, आप भी भगवान कृष्ण के नाम का व्रत रख सकते हैं। व्रत का पारण अगले दिन उनके नाम का प्रसाद खाकर कर सकते हैं।
इस पूजा को कर आप भगवान कृष्ण से अच्छा स्वास्थ्य, संपन्नता प्राप्त करने के आशीर्वाद मांग सकते हैं। काले जादू के बुरे प्रभाव को खत्म करने के लिए भी जन्माष्टमी के दिन पूजा की जा सकती है। बुरी नजर जैसी समस्याओं से इस दिन निजात पाया जा सकता है।
निम्न मंत्रों के जाप से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होगा
कृष्ण जन्माष्टमी पर कृष्ण मंत्रों का जाप करने से आध्यात्मिक उन्नति, आंतरिक शांति, और शुद्धि मिलती है। यह ज्ञान के पथ पर मार्गदर्शन करता है, नकारात्मकता को दूर करता है, और कष्ट से मुक्ति दिलाता है। भगवान कृष्ण की कृपा से भक्ति में वृद्धि होती है और आत्म-उद्धार का मार्ग प्रदान किया जाता है।
1- करियर व शिक्षा में उन्नति व सफलता हेतु:
'ॐ क्लीं कृष्णाय नमः' इस मंत्र का जाप व्यक्ति अपने जीवन के समग्र कल्याण के लिए भगवान श्रीकृष्ण से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करता है। और साथ ही करियर और शिक्षा प्रयासों में एकाग्रता बढ़ाने और सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
2. प्रेम और संबंध में सामंजस्य के लिए
'ॐ दामोदराय विद्महे, रुक्मणि वल्लभाय धीमहि, तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्' इस मंत्र का जाप संबंधों में प्रेम और सद्भाव के लिए भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
3. अच्छे स्वास्थ्य और सेहत के लिए:
'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस मंत्र का जाप स्वास्थ्य कल्याण के लिए भगवान कृष्ण से दिव्य ऊर्जा प्राप्त करने का साधन है।
4. धन और समृद्धि के लिए:
'ॐ श्री कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय नमः' इस मंत्र का जाप धन और समृद्धि के प्रदाता के रूप में भगवान कृष्ण के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
5. बाधाओं और नकारात्मकता को दूर करने के लिए:
'ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्' इस मंत्र का जाप बाधाओं और नकारात्मकता को दूर करने के लिए भगवान कृष्ण की सुरक्षात्मक ऊर्जा प्राप्ति के लिए किया जाता है।
6. आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति के लिए:
'हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे' यह मंत्र एक उत्कृष्ट मंत्र है जिसे महामंत्र भी कहा जाता है, जो अभ्यासकर्ता को दिव्य चेतना से जोड़ता है। इस मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति प्राप्त होता है।
7. इच्छाओं की पूर्ति के लिए:
'ॐ श्री कृष्णाय शरणम् मम' इस मंत्र का जाप इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।
8. मानसिक स्पष्टता और ध्यान के लिए:
'ॐ कृष्णाय नमः' यह सरल मंत्र बुद्धिमान निर्णय लेने के लिए भगवान कृष्ण से स्पष्टता और एकाग्रता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
9. मन की शांति व स्व-आनंद हेतु:
'कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणत क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः' इस मंत्र के जाप से कष्टों का नाश होता है और आध्यात्मिकता में समृद्धि आती है। यह मन को शांति और स्वान्तःसुख की अनुभूति प्रदान करता है।
निष्कर्ष #
आप उन मंत्रों का जाप कर सकते हैं जो आपकी आवश्यकताओं के अनुसार महत्वपूर्ण हो। नियमित रूप से तथा सच्ची श्रद्धा से जप करने से इन मंत्रों के जाप का आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा आपके जीवन में अनेक बदलाव आ सकते हैं।
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