कार्यक्षेत्र में सफलता व कार्य प्रणाली समझने के ज्योतिषीय सूत्र

ऐसा कहा जाता है कि 'मेहनत ही सफलता की कुंजी होती है'। किसी भी क्षेत्र में जब सफलता पाना हो, तो उसके लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। प्रत्येक व्यक्ति परिश्रम करता है, आजीविका के लिए और आजीविका के क्षेत्र में सफलता व उन्नति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में प्रवीणता व योग्यता का होना आवश्यक है।
जैसे एक सच ये है कि आजीविका के लिए व्यक्ति में गुणों का होना आवश्यक है, उतना सच ये भी है कि प्रत्येक व्यक्ति में सभी गुण का होना आवश्यक नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी क्षमता होती है जिसके आधार पर वो कार्य करते हैं। कोई व्यक्ति यदि बात करने में अच्छा है, तो उस आधार पर आय प्राप्त कर सकता है। इसी तरह जिस व्यक्ति में जो गुण मौजूद होता है, उसी आधार पर वो अपनी आजीविका का क्षेत्र चुन लेते हैं।
आज के बढ़ते दौर में जब प्रतियोगिता इतना बढ़ गया है, यदि व्यक्ति अपने दक्ष क्षेत्र को लेकर आगे नहीं बढ़ा तो इस भीड़ भरी दुनिया में खो जाएगा। कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति में गुण तो मौजूद होता है किन्तु वो समझ नहीं पाता कि उसे किस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे में आपकी ग्रहों की स्थिति आपकी इस उलझन को दूर करने में आपकी मदद करता है।
आइये जानते है कि ग्रह इस क्षेत्र में किस प्रकार आपकी सहायता करते हैं तथा कौन से ग्रह से व्यक्ति में किस गुण का विकास होता है
1. कार्य-भार की समझ
कार्य चाहे जो भी हो, छोटा या फिर बड़ा; प्रत्येक व्यक्ति उसे एक समान तरीके से करें, ऐसा आवश्यक नहीं हैं। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी एक क्षमता होती है, उसी आधार पर वो कोई भी कार्य करता है।
यदि व्यक्ति को कोई ऐसा कार्य करना पड़े, जिसकी उसे जानकारी न हो, तो उनको कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में यदि आप सही मार्ग चुनने के लिए ज्योतिष की परामर्श लेंगे तो वो आपको आपके ग्रहों की स्थिति के आधार पर सलाह देंगे।
जैसे ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति के कार्य को उत्कृष्ट बनाने में बृहस्पति ग्रह का बड़ा योगदान देखा जाता है। सभी ग्रहों में बृहस्पति को ज्ञान का कारक ग्रह कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह व्यक्ति की स्मरण शक्ति को प्रबल करने में सक्षम होता है, साथ व्यक्ति को उसकी योग्यता की पहचान करने में भी मदद करता है।
यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति अच्छी हो तो आपको इसके शुभ परिणाम प्राप्त होंगे साथ ही आपको उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होगी। वही अगर बृहस्पति आपकी कुंडली के किसी नीच राशि में स्थित हो, तो आपको इसके अशुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
2. कार्य क्षमता व कार्य निपुणता
कुंडली में शनि की स्थिति के माध्यम से व्यक्ति में कार्य क्षमता तथा निपुणता के स्तर का पता लगाया जा सकता है। कुंडली में शनि का संबंध यदि दसवें भाव से है तो व्यक्ति को उसके रोजगार के क्षेत्र में अतिरिक्त कार्य करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
कई बार व्यक्ति को कार्य के विषय में जानकारी पूरी होती है, किन्तु उस कार्य में व्यक्ति का मन नहीं लगता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपनी योग्यता का पूरा उपयोग नहीं कर पाता है। व्यक्ति की कुंडली में यदि बारहवां भाव बली हो, तो उसका स्वभाव आरामपरस्त होने की संभावना है। उसे विश्राम करना बेहद पसंद होगा तथा वो पारिवारिक, सामाजिक व आजीविका से संबंधित जिम्मेदारियों से भागने की कोशिश करेगा। किन्तु कुंडली में शनि के बली होने पर व्यक्ति में कार्यक्षमता तीव्र होगी तथा वह अपने कार्यक्षेत्र में दक्षता प्राप्त कर सकता है।
3. कार्यनिष्ठा
कुंडली के दशम भाव व शनि की स्थिति के आधार पर व्यक्ति में कार्यनिष्ठा का अनुमान लगाया जा सकता है। कार्य में अनुशासन की स्थिति देखने के लिए सूर्य की स्थिति देखी जा सकती है।
शनि तथा सूर्य की स्थिति के आधार पर व्यक्ति में अनुशासन के भाव का अनुमान लगाया जा सकता है। शनि की उपस्थिति व्यक्ति को उसके कार्य के प्रति सजग बनाती है। शनि व्यक्ति को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं।
4. स्नेह तथा सहयोगपूर्ण स्वभाव
कोई भी व्यक्ति किसी कार्य में कितना ही निपुण हो या उसे कितनी ही योग्यता प्राप्त हो किन्तु यदि वो किसी के साथ अच्छे व्यावसायिक संबंध नहीं बना पाया, तो उसे आने वाले समय में कठिनाई का सामना तो करना ही पड़ेगा। यदि gव्यक्ति का स्वभाव अच्छा हो, मधुर हो तो कोई भी कार्य सरल हो सकता है।
उसके मधुर व्यवहार के कारण आसपास के लोग भी उसकी मदद के लिए उसके साथ खड़े हो सकते हैं। आपकी कुंडली में चंद्र या शुक्र की उपस्थिति अच्छी होने पर आपको शुभ परिणाम प्रदान करेंगे। इनके शुभ परिणाम के माध्यम से आपको सरलता से सफलता प्राप्त हो सकती है। अपने व्यवहार से आप सभी का दिल जीतने में भी सक्षम होंगे।
5. यांत्रिक योग्यता
बढ़ते समय के साथ आजकल तकनीक भी काफी आगे बढ़ गया है। ऐसे में व्यक्ति को कम्प्यूटर, लैपटॉप जैसे उपकरण का ज्ञान होना आवश्यक हो गया है। किसी व्यक्ति में यंत्रों तथा उपकरणों की कितनी समझ है इस गुण का पता मंगल तथा शनि के आपसी संबंध से चलता है।
चूँकि मंगल को केतु का ग्रह कहा जाता है, अतः केतु का संबंध मंगल से होने पर भी व्यक्ति में योग्यता आने की संभावना रहती है।
अतः कुंडली में मंगल, शनि तथा केतु में से किसी दो का भी आपसी संबंध व्यक्ति को यंत्रों की जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है तथा इससे उन्हें आजीविका के क्षेत्र में बेहतर करने का मौका मिलता है।
6. वाकशक्ति
यदि बुध की स्थिति कुंडली में अच्छी हो, तो व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की अच्छी संभावना बन जाती है।
यदि बुध का संबंध दूसरे भाव से जुड़ा हो, तो व्यक्ति की वार्तालाप क्षमता अच्छी हो जाती है। अपने बातों के माध्यम से वो किसी को भी प्रभावित कर सकता है। वाकशक्ति प्रबल होने से इसका लाभ व्यापार में सफलता प्राप्त करने में होता है।
निष्कर्ष #
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